उद्योग

दिवालिया प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए IBBI का बड़ा कदम: कंपनियों के नए मालिकों की जांच होगी सख्त

दिवालिया कानून के तहत बोली लगाने वालों को अपने असली मालिकों की जानकारी देना अब जरूरी होगा, इंसॉल्वेंसी रेगुलेटर ने ये प्रस्ताव दिया है

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- November 07, 2025 | 8:25 PM IST

दिवालिया होने वाली कंपनियों को नए मालिक मिलते वक्त अब ज्यादा साफ-सफाई रखी जाएगी। इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) ने बोली लगाने वालों से उनके असली मालिकों की पूरी डिटेल मांगी है। इससे IBC के ‘क्लीन स्लेट’ वाले नियम का गलत फायदा उठाने से रोका जा सकेगा। बोर्ड ने एक डिस्कशन पेपर जारी किया है। नाम है – “मेजर्स टू एन्हांस इंटेग्रिटी ऑफ द कॉर्पोरेट इंसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस”। इसमें पब्लिक कमेंट्स मांगे गए हैं।

प्रपोज्ड टेम्प्लेट में प्रॉस्पेक्टिव रेजोल्यूशन एप्लीकेंट (PRA) को हर उस नेचुरल पर्सन का नाम बताना होगा जो आखिरी ओनरशिप या कंट्रोल रखता है। साथ ही बीच की सारी कंपनियों की ज्यूरिस्डिक्शन और स्ट्रक्चर की डिटेल भी देनी पड़ेगी। IBBI ने कहा कि ये टेम्प्लेट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के लेटेस्ट फ्रेमवर्क पर आधारित है। इससे इंसॉल्वेंसी का सिस्टम दूसरे फाइनेंशियल रेगुलेशंस से मैच करेगा।

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पारदर्शिता से बेनामी बोली पर लगाम

के एस लीगल एंड एसोसिएट्स की मैनेजिंग पार्टनर सोनम चंदवानी बताती हैं कि यूनिफॉर्म और डिटेल्ड डिस्क्लोजर से अल्टीमेट बेनिफिशियल ओनर्स की पहचान आसान हो जाएगी। PRA को एक एफिडेविट भी देना होगा। इसमें सेक्शन 32ए की इम्युनिटी के लिए अपनी एलिजिबिलिटी कन्फर्म करनी होगी। इससे कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) और रेजोल्यूशन प्रोफेशनल्स (RP) अच्छी तरह चेक कर पाएंगे। बेनामी, प्रॉक्सी या कॉन्फ्लिक्टेड एप्लीकेंट्स से बचाव होगा।

IBBI ने लिस्टेड कंपनियों और उनकी सब्सिडियरी के लिए छूट दी है। वजह ये कि ये पहले से सिक्योरिटीज लॉ के तहत ढेर सारी ओनरशिप डिटेल्स पब्लिक करती हैं। किंग स्टब एंड कासिवा के पार्टनर सुकृत कपूर कहते हैं कि ये कदम भारत की इंसॉल्वेंसी फ्रेमवर्क की मैच्योरिटी दिखाता है। अब प्रोसेस सिर्फ टाइम-बाउंड नहीं रहेगा। गुड गवर्नेंस और एथिकल पार्टिसिपेशन भी जुड़ेगा।

सेक्शन 32A के तहत दिवालिया कंपनी और उसकी प्रॉपर्टी को पुराने अपराधों से छूट मिलती है। बशर्ते मैनेजमेंट और कंट्रोल में सच्चा बदलाव हो। गलत इस्तेमाल रोकने के लिए असली कंट्रोलर की पहचान जरूरी है। इसलिए PRA से एफिडेविट मांगा जा रहा है।

मंगलवार को जारी सर्कुलर में IBBI ने RP को PMLA केस वाली स्पेशल कोर्ट्स में जाने की इजाजत दी। RP को अंडरटेकिंग देनी होगी कि रिस्टोर किए एसेट्स सिर्फ क्रेडिटर्स के फायदे में इस्तेमाल होंगे। आरोपी या प्रमोटर्स को कोई फायदा नहीं मिलेगा। पूरी रिपोर्टिंग और कंप्लायंस तब तक चलेगी जब तक रेजोल्यूशन पूरा न हो।

First Published : November 7, 2025 | 8:25 PM IST