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‘पायलट पर दोष नहीं लगाया जा सकता’ — सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एयर इंडिया हादसे में निष्पक्ष जांच जरूरी

न्यायाधीश सूर्यकांत और जयमाल्य बागची का पीठ कमांडर सुमित सभरवाल के पिता पुष्कर राज सभरवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। उस विमान के दो पायलटों में एक सुमित सभरवाल ही थे।

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भाविनी मिश्रा   
Last Updated- November 07, 2025 | 11:03 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि अहमदाबाद में जून में दुर्घटनाग्रस्त एयर इंडिया विमान के पायलट को कसूरवार नहीं ठहराया जा सकता। उस दुर्घटना में 260 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें दोनों पायलट और चालक दल के सभी सदस्य शामिल थे।

न्यायाधीश सूर्यकांत और जयमाल्य बागची का पीठ कमांडर सुमित सभरवाल के पिता पुष्कर राज सभरवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। उस विमान के दो पायलटों में एक सुमित सभरवाल ही थे। याची ने विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) द्वारा की जा रही जांच में पक्षपात का आरोप लगाते हुए न्यायालय की निगरानी में स्वतंत्र जांच कराने की मांग रखी है।

याची की ओर से जिरह करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि मौजूदा जांच में निष्पक्षता की कमी है और यह जनता का भरोसा हासिल करने में नाकाम रही है। उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि विमान (दुर्घटनाओं और घटनाओं की जांच) नियमावली के नियम 12 के तहत अदालत की निगरानी में जांच का निर्देश दिया जाए। यह नियम जांच में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए है।
जिरह सुनने के बाद पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और कहा कि इस मामले सुनवाई इसी से जुड़ी एक और याचिका के साथ 10 नवंबर को की जाएगी।

कार्यवाही के दौरान न्यायाधीश सूर्यकांत ने याची को आश्वासन दिया कि उनके दिवंगत बेटे पर कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, लेकिन आप यह बोझ महसूस नहीं करें कि आपके बेटे पर आरोप लगाया जा रहा है। कोई भी उन पर किसी भी बात के लिए आरोप नहीं लगा सकता।’ न्यायाधीश बागची ने कहा कि की प्रारंभिक निष्कर्षों में पायलटों की कोई गलती नहीं बताई गई है।

शंकरनारायणन ने बोइंग विमानों की सुरक्षा पर दुनिया भर में जताई जा रही चिंताओं का भी हवाला लिया और आग्रह किया कि अहमदाबाद दुर्घटना की जांच करते समय इस बात को भी मद्देनजर रखा जाए। मगर न्यायाधीश बागची ने कहा कि जांच की शुचिता पर सवाल उठाना वैधानिक व्यवस्था को चुनौती देने के बराबर होगा।

याची ने अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक खबर पर भी ध्यान आकर्षित किया, जिसमें अनाम आधिकारिक सूत्रों का हवाला देते हुए इशारा किया गया था कि दुर्घटना में पायलटों की गलती थी। पीठ ने ऐसी खबरों को बेमानी बताकर खारिज कर दिया। न्यायाधीशों ने कहा, ‘विदेशी मीडिया क्या कहता है, इससे हमें कोई मतलब नहीं है। यह दुर्भावना भरी रिपोर्टिंग है। यहां किसी को नहीं लगता कि गलती पायलट की थी।’

सभरवाल और फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने मांग की है कि एएआईबी जो जांच कर रहा है, उसके स्थान पर विमानन विशेषज्ञों की स्वतंत्र समिति से जांच कराई जाए, जिसकी अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करें। याचिका में दलील दी गई है कि वर्तमान जांच टीम में एजेंसियों के वे अधिकारी शामिल हैं, जिनके आचरण की जांच की जा रही है और प्रणालीगत तथा तकनीकी पहुओं को नजरअंदाज करते हुए पायलटों की गलती बताने वाली आरंभिक रिपोर्ट एकतरफा थी।

एएआईबी की शुरुआती रिपोर्ट के चुनिंदा अंश सार्वजनिक होने पर अदालत ने सितंबर में चिंता जताई थी। उसने कहा था कि आधी-अधूरी बात बाहर आए तो जांच पूरी होने से पहले ही जनता की धारणा बिगड़ने का जोखिम खड़ा हो जाता है।

First Published : November 7, 2025 | 10:39 PM IST