देश भर में वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) द्वारा रियल एस्टेट के इस्तेमाल का स्तर वैश्विक महामारी से पहले के स्तर को पार कर गया है। दफ्तरों में वापसी की सख्त नीतियों, पिछले दो साल में भर्ती में उछाल और भविष्य की विस्तार योजनाओं के लिए जगह के कारण ऐसा हुआ है।
रियल एस्टेट क्षेत्र की परामर्श कंपनी जेएलएल के आंकड़ों के अनुसार जीसीसी ने साल 2024 में ग्रेड ए वाली वाणिज्यिक अचल संपत्ति का करीब 2.77 करोड़ वर्ग फुट क्षेत्र और साल 2023 में 2.41 करोड़ वर्ग फुट क्षेत्र पट्टे पर लिया या लेने का वादा किया। यह कुल पट्टे का 36 प्रतिशत और 38 प्रतिशत है। इसकी तुलना में साल 2019 और साल 2020 में पट्टे पर ली गई कुल जगह क्रमशः 1.85 करोड़ वर्ग फुट और 2.38 करोड़ वर्ग फुट थी। यह स्थिति जीसीसी द्वारा साल 2019 और साल 2020 में क्रमशः 31.4 प्रतिशत और करीब 57 प्रतिशत पट्टे को दर्शाती है।
ईवाई में पार्टनर अरिंदम मुखर्जी ने कहा, ‘जब काम करने की हाइब्रिड नीतियों की बात आती है, तो रुझान कुछ दूसरी तरफ हो गया है।’ मुखर्जी ने कहा, ‘अगर आप सबसे बड़े कार्यस्थलों पर नजर डालें तो ऐसी बहुत कम टीमें हैं जो दूर रहकर काम कर रही हैं। अधिकांश कंपनियां चाहती हैं कि वे वापस आएं और उन्होंने इस संबंध में कई नियम बना लिए हैं। हालांकि हाइब्रिड विकल्प बरकरार है। लेकिन पूरी तरह से दूर से काम करने के मुकाबले कार्यालय से काम करने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। ज्यादा से ज्यादा कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को सप्ताह में कम से कम तीन दिन कार्यालय में मौजूद रहने के लिए कहा है और कुछ ने तो पांच दिन अनिवार्य कर दिया है। उदाहरण के लिए जेपी मॉर्गन और एमेजॉन ने अन्य वैश्विक बैंकों के साथ पांच-दिन कार्यालय आने की सख्त नीति लागू की है।
अमेरिका की एक खुदरा जीसीसी के एचआर मैनेजर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘हमें यह अहसास हो गया है कि कार्यालय आने का अत्यधिक महत्त्व है क्योंकि व्यक्तिगत सहयोग से फैसला लेने में तेजी आती है, जुड़ाव बढ़ता है और टीमों के बीच मजबूत संबंध बनते हैं। हालांकि घर से काम करने से लचीलापन मिलता है, लेकिन आमने-सामने की बातचीत के लाभ निर्विवाद हैं।’ आईटी उद्योग के संगठन नैसकॉम की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं एवं बीमा (बीएफएसआई), खुदरा, स्वास्थ्य सेवा, एरोस्पेस और तेल एवं गैस जैसे कारोबारी क्षेत्रों में तकरीबन 1,800 जीसीसी हैं।