सरकार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के साथ काम करने वाले गिग कामगारों के लिए प्रस्तावित पेंशन योजना में योगदान की खातिर प्लेटफॉर्म एग्रीगेटरों से कामगारों की आय के 2 फीसदी के बराबर राशि एकत्र करने पर विचार कर रही है।
स्विगी, जोमैटो, उबर और ब्लिंकइट जैसी सभी प्रमुख प्लेटफॉर्म कंपनियों द्वारा अपने यहां काम करने वाले गिग कामगारों की पेंशन में योगदान देने की संभावना है। सूत्रों ने कहा, ‘गिग कामगारों की पेंशन के लिए जो रूपरेखा तैयार की गई है उसके अनुसार नियोक्ता प्रत्येक लेनदेन के दौरान कर्मचारी द्वारा अर्जित आय का 2 फीसदी योगदान देंगे। यह राशि उनकी आय से अलग होगी। प्लेटफॉर्म एग्रीगेटर यह राशि एकत्र करेगा और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पास कर्मचारी के खाते में जमा करेगा। हमें उम्मीद है कि अगले दो-तीन सप्ताह में योजना शुरू की जा सकती है।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में पीएम जन आरोग्य योजना के तहत गिग कामगारों के लिए स्वास्थ्य कवरेज की घोषणा की थी, उसी के मद्देनजर प्लेटफॉर्म कामगारों के लिए पेंशन योजना पर काम किया जा रहा है।
पेंशन योजना के लिए राज्यों के श्रम मंत्रियों, गिग कर्मचारियों के संगठनों और एग्रीगेटरों सहित सभी हितधारकों के साथ चर्चा की जा रही है। इस योजना के तहत कामगारों को पहले ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा और उन्हें बताना होगा कि वह कितने प्लेटफॉर्म के साथ काम करते हैं। उनके द्वारा दी गई जानकारी को सत्यापित करने के बाद उन्हें ईपीएफओ से यूएएन नंबर जारी किया जाएगा।
सूत्र ने कहा, ‘इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि अगर कोई कर्मचारी किसी क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म के साथ काम करता है और प्रत्येक लेनदेन पर 15 रुपये कमाता है तो उसके नियोक्ता उस राशि का 2 फीसदी यानी 30 पैसा उनके यूएएन नंबर वाले ईपीएफओ अकाउंट में जमा कराएगा।’
सूत्रों ने बताया कि 2025 में करीब 1 करोड़ गिग वर्कर होने का अनुमान है जिनमें से लगभग 35 लाख ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए काम कर रहे हैं। इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के राष्ट्रीय महासचिव शेख सलाउद्दीन ने कहा कि पेंशन योजना को प्रभावी बनाने के लिए कामगारों को पंजीकरण करने के लिए कहने के बजाय एग्रीगेटर कंपनियों को सरकार के साथ गिग और प्लेटफॉर्म कामगारों का डेटा साझा करना चाहिए।