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Quick Commerce Growth: झटपट डिलिवरी के लिए क्विक कॉमर्स को तकनीक का सहारा

कौन सी सड़क बंद है, कहां जाम लगा है या किस शॉर्टकट से जल्द से जल्द ग्राहक के पास पहुंचा जाए, क्विक कॉमर्स कंपनियां को सब कुछ बता रहा सॉफ्टवेयर

Last Updated- June 27, 2025 | 8:24 AM IST
quick commerce

क्विक कॉमर्स कंपनियां अपने ऑर्डर सटीक लोकेशन पर जल्द से जल्द पहुंचाने के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का सहारा ले रही हैं। इससे उन्हें आसानी यह पता चल जाता है कि कौन सी सड़क बंद है, कहां जाम लगा है अथवा क्या शॉर्टकट लेकर कम से कम समय में ग्राहक के पास पहुंचा जा सकता है। खास जगहों के आंकड़े जुटाने, संग्रहीत करने और उनका विश्लेाण करने वाली इस तकनीक का इस्तेमाल अभी तक शहरी योजनाओं, परिवहन, खेती अथवा रक्षा क्षेत्र के लिए ही किया जा रहा था लेकिन अब शहरों और कस्बों में तेजी से पैर पसार रहीं क्विक कॉमर्स कंपनियां इसका भरपूर लाभ उठा रही हैं। इस तकनीक से उन्हें आसानी से सही लोकेशन का पता चल जाता है जिससे ऑनलाइन किए गए ऑर्डर पहुंचाने के लिए जगह ढूंढने में लगने वाला समय बच जाता है।

ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) प्रदाता एसरी इंडिया के प्रबंध निदेशक अगेंद्र कुमार ने बताया, ‘चूंकि क्विक कॉमर्स कंपनियां सामान की कुछ मिनटों के निश्चित समय में डिलिवरी करने का वादा करती हैं, इसलिए यह जरूरी है कि उनके कर्मचारी बाधा रहित सफर तय कर दिए हुए वक्त में मौके पर पहुंच जाएं। समय पर डिलिवरी सुनिश्चित करने के लिए उनके पास सड़कों पर यातायात की स्थिति, कौन सी सड़क बंद है, किस रास्ते से जल्दी पहुंचा जा सकता है और मौसम की जानकारी जैसी जरूरी सूचनाओं का होना काफी महत्त्वपूर्ण होता है।’

एसरी ने अपना कंप्यूटर आधारित प्लेटफॉर्म जीआईसी लांच किया है, जो मानचित्र, सैटेलाइट तस्वीरें, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के माध्यम से आबादी घनत्व या इमारतों की स्थिति जैसे कई प्रकार के भौगोलिक आंकड़ों का प्रबंधन करता है। अगेंद्र का कहना है कि उनके प्लेटफॉर्म क्विक कॉमर्स कंपनियों को लॉजिस्टिक्स कम करने, ट्रैफिक जाम से बचने, मौसम संबंधी बाधाओं अथवा बेवजह देरी जैसी परिस्थितियों से निपटने और डिलिवरी में लगने वाला वक्त बचाने में काफी मददगार है।

उन्होंने कहा, ‘भौगोलिक स्थिति के बारे में सही समय पर सटीक सूचना मिलने से न केवल परिचालन दक्षता में सुधार आता है बल्कि ग्राहकों को संतुष्टिप्रद सेवाएं भी सुनिश्चित करता है।’ उदाहरण के लिए प्लेटफॉर्म खास क्षेत्रों के लोग क्या ऑर्डर करते हैं और किस वक्त करते हैं आदि का विश्लेषण कर जानकारी देता है, जिससे कंपनियों को अपने डार्क स्टोर में उत्पादों की इन्वेंट्री तैयार करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, सड़कों पर जाम लगने अथवा बारिश के कारण जलभराव से बचाने के लिए यह वैकल्पिक मार्ग का भी सुझाव स्वत: देता है। प्लेटफॉर्म क्विक कॉमर्स कंपनियों के साथ मिलकर डिलिवरी में लगने वाले समय को कम कर पांच मिनट तक लाने पर काम कर रहा है।

कुमार का कहना है कि उनके प्लेटफॉर्म की सेवाएं लेने के लिए सबस्क्रिप्शन लेना पड़ता है। इसके लिए दिल्ली जैसे महानगरों में एक साल के लिए ग्राहक को करीब 50 लाख रुपये चुकाने होते हैं। इसके अलावा देश भर में क्विक कॉमर्स की पेशकश करने वाली कंपनियों के लिए यह रकम एक करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।

इस प्रौद्योगिकी से क्विक कॉमर्स कंपनियों को तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिल रही है। अनुमानों के मुताबिक, पूरे ई-कॉमर्स बाजार में अब क्विक कॉमर्स की हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी है और यह सालाना 50 फीसदी से अधिक की दर से बढ़ रही है। बड़े शहरों में कंपनियों के 500 से अधिक स्टोर हैं और प्रत्येक में 25 से 50 डिलिवरी कर्मचारी काम करते हैं। इससे पूरे स्टोर और डिलिवरी प्रणाली का प्रबंधन करना काफी मुश्किल हो जाता है।

कार्नी के मुताबिक साल 2024 से 2027 के बीच क्विक कॉमर्स कंपनियों का राजस्व तीन गुना होकर 1.5 लाख करोड़ रुपये से 1.7 लाख करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है। तब तक क्विक कॉमर्स कंपनियां 5 लाख या उससे अधिक आबादी वाले हर शहर में मौजूद होंगी और सालाना छह लाख रुपये या उससे अधिक कमाने वाले करीब 1 लाख घरों तक अपनी सेवाएं देने लगेंगी।

प्रौद्योगिकी ने कंपनियों के कार्यबल को भी नया रूप दिया है, जिससे कर्मचारी इस जटिल लॉजिस्टिक्स और डिलिवरी प्लेटफॉर्म का अभिन्न अंग बन गए हैं। अनुमानों के मुताबिक क्विक कॉमर्स कंपनियां अपने हर एक करोड़ रुपये के सकल मर्केंडाइज मूल्य पर करीब 62 से 64 लोगों को रोजगार देती है, जो ई कॉमर्स (25 से 29 कार्यबल) के मुकाबले काफी अधिक है।

First Published - June 27, 2025 | 8:05 AM IST

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