facebookmetapixel
Euro Pratik IPO के लिए अप्लाई किया था? कैसे चेक करें Allotment, फुल स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस यहां जानेंApple iPhone 17 भारत में लॉन्च: कहां से कर सकते हैं खरीद; जानें कीमत, फीचर्स और ऑफर्सSaatvik Green Energy IPO: सोलर कंपनी का ₹900 करोड़ का इश्यू खुला, जानिए क्या करती है कंपनी; सब्सक्राइब करें या नहीं ?नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 9% बढ़कर ₹10.82 लाख करोड़, रिफंड में गिरावट का असरसोने-चांदी के भाव उछले, विदेशी बाजारों में भी दिखी तेजी; MCX पर कैसा है ट्रेंडAdani Stocks में जोरदार तेजी! सेबी की क्लीन चिट के बाद खरीदने की मची लूट, शेयर 10% तक उछलेसेविंग अकाउंट का पैसा यूं ही मत छोड़िए, कुछ हफ्तों और महीनों वाले फंड से कर सकते हैं कमाई5 साल में 655% रिटर्न देने वाली कंपनी देने जा रही ₹50 प्रति शेयर डिविडेंड, रिकॉर्ड डेट अगले सोमवारभारतीय बॉन्ड्स को ग्लोबल इंडेक्स में शामिल करने पर विचार कर रहा है ब्लूमबर्गStocks to Watch today: Adani Ent से लेकर Vedanta और Texmaco तक, आज इन स्टॉक्स में दिखेगा एक्शन

Digital Competition Bill: बड़ी टेक कंपनियों पर दोहरी जांच की तलवार लटकी!

Digital Competition Bill: डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक के मसौदे में मूल प्रतिस्पर्धा विधेयक में शामिल उल्लंघनों की जांच की प्रक्रिया को शामिल किया गया है।

Last Updated- March 13, 2024 | 10:00 PM IST
Tech Companies- तकनीकी कंपनियां

कानून के विशेषज्ञों के मुताबिक बड़ी तकनीकी कंपनियां एक जैसे उल्लंघन के मामलों में प्रस्तावित डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक और मौजूदा प्रतिस्पर्धा अधिनियम में समानांतर जांच का सामना कर सकती हैं।

प्रस्तावित विधेयक की धारा 24 महानिदेशक को अनुमति देती है, ‘ जब भी आयोग निर्देश देगा, इस अधिनियम (डिजिटल प्रतिस्पर्धा) के उपबंधों के उल्लंघन या किसी कानून या इसके तहत बनाए गए किसी विनियमन के तहत किसी भी उल्लंघन के मामले में वह भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग को सहायता मुहैया कराएगा।’

प्रतिस्पर्धा कानून के एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘बड़ी तकनीकी कंपनियों को समानांतर जांच का सामना करना पड़ सकता है। आशंका यह भी है कि उन्हें अलग-अलग फैसले मिलें और इससे विनियमन के मामले में अराजकता पैदा हो सकती है। यह कारोबार के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा।’

डिजिटल प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत उल्लंघन होने की स्थिति में जांच सिस्टमिकली सिग्निफिकेंट डिजिटल एंटरप्राइजेज (एसएसडीई) के लिए ‘एक्स ऐंटी रेगुलेशन’ के तहत होगी जबकि प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत संबंधित कंपनी पर प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के मामले में गैर प्रतिस्पर्धा व्यवहार की जांच होगी।

जेएसए में प्रतिस्पर्धा कानून के साझेदार एवं प्रैक्टिस के प्रमुख वैभव चौकसी ने कहा, ‘प्रतिस्पर्धा अधिनियम के अंतर्गत सीसीआई को मार्केट पर प्रभाव को देखने की जरूरत होती है जबकि डिजिटल प्रतिस्पर्धा के तहत ऐसी कोई जरूरत नहीं होती है।

हालांकि यदि एसएसडीई दोषी पाया जाता है तो क्या दोनों कानूनों के तहत एक अपराध के लिए दो बार दंडित किया जाएगा? इस मामले पर सरकार से स्पष्टता की जरूरत है क्योंकि इससे दोहरा खतरा हो सकता है।’नए कानून के ‘एक्स ऐंटी’ उपबंधों के तहत एसएसडीई कुछ विशिष्ट गतिविधियां जैसे कि खुद वरीयता देने, एंटी स्टीयरिंग प्रावधान, तीसरे पक्ष के ऐप पर प्रतिबंध लगाना आदि नहीं कर सकता।

दूसरी तरह मौजूदा प्रतिस्पर्धा दायरे के तहत ‘एक्स पोस्ट’ उपबंधों के तहत मामला-दर-मामला पूर्व मूल्यांकन एवं जांच की जरूरत होती है या ऐसी कंपनियों को पहचाने गए प्रतिस्पर्धा विरोधी या अपमानजनक आचरण में शामिल होने से रोकने वाले किसी भी आदेश को पारित करने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।

सराफ ऐंड पार्टनर्स के पार्टनर अक्षय एस. नंदा ने बताया, ‘नए कानून में बिना कुछ गतिविधियों पर रोक का प्रस्ताव है, बिना ऐसी किसी जांच के कि वे गतिविधियां प्रतिस्पर्धा विरोधी या सहायक हैं।’डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक के मसौदे में मूल प्रतिस्पर्धा विधेयक में शामिल उल्लंघनों की जांच की प्रक्रिया को शामिल किया गया है।

कंपनी मामलों के मंत्रालय के सचिव मनोज गोविल ने डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून की विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता की। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘सीसीआई की एक्स पोस्ट शक्तियों को नए कानून से मजबूती और पूर्णता मिली है और यह समय की जरूरत भी है। हालांकि एक्स ऐंटी प्रारूप पर न्यायिक हस्तक्षेप होने की भी उम्मीद है। यह प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 3 और धारा 4 की तुलना में मार्केट को दुरुस्त करने का कहीं बेहतर तंत्र है।’ समिति ने अपनी रिपोर्ट में इंगित किया कि सीसीआई की जांच व लागू करने की प्रक्रियाओं की प्रकृति समयसाध्य है।

First Published - March 13, 2024 | 10:00 PM IST

संबंधित पोस्ट