बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा किए गए एक ताज़ा सर्वे में हिस्सा लेने वाले लगभग 75% भारतीय CEO का मानना है कि इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और अमेरिका की ट्रेड नीतियों जैसी वैश्विक अनिश्चितताओं का उनके बिज़नेस पर कुछ हद तक असर जरूर हो रहा है। हालांकि, बचे हुए CEO ने कहा कि उन्हें कोई बड़ा व्यवधान नहीं दिख रहा है। यह सर्वे पिछले हफ्ते देशभर के CEO से बात कर के किया गया था।
रविवार को अमेरिका द्वारा ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले के बाद भी 83.33% CEO का कहना है कि वे अपनी ग्रीनफील्ड निवेश योजनाओं में कोई बदलाव नहीं कर रहे हैं। इसका मतलब है कि इन कंपनियों के नए प्लांट या कारोबार शुरू करने की योजना वैसी ही बनी हुई है, जैसी पहले थी।
CEO की तीन-चौथाई (75%) संख्या ने कहा कि फिलहाल भारत का कारोबारी नेतृत्व “सावधानी भरा आशावादी” (Cautiously Optimistic) है। यानी वे सतर्क हैं, लेकिन भरोसे से आगे बढ़ रहे हैं।
हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने जो लिक्विडिटी में राहत दी है, उसका असर भी दिख रहा है। 58.33% CEO ने कहा कि वे अपनी बिजनेस रणनीति या सप्लाई चेन में कोई बदलाव नहीं कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें देश के मौजूदा आर्थिक हालात पर भरोसा है।
एक CEO ने कहा, “सब वेट एंड वॉच मोड में हैं। अगर होरमुज़ की खाड़ी बंद होती है, तो कच्चे तेल की सप्लाई पर बड़ा असर होगा।”
S&P Global Ratings के मुताबिक भारत की कंपनियां अगले 5 सालों में करीब 850 अरब डॉलर का निवेश करने की तैयारी कर रही हैं। यह निवेश पावर, ट्रांसमिशन, एविएशन और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में होगा।
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फिलहाल की मांग को लेकर CEO दो हिस्सों में बंटे दिखे। आधे CEO का मानना है कि इस तिमाही में डिमांड बेहतर रहेगी, जबकि बाकी ने कहा कि कोई खास बदलाव नहीं दिख रहा। हालांकि, 50% CEO ने माना कि ग्राहकों ने अपने डिस्क्रेशनरी (ऐच्छिक) और पूंजी खर्च में देरी की है, जिससे बाजार में थोड़ी सावधानी का माहौल है।
साल 2025-26 के लिए हायरिंग को लेकर 58.33% CEO ने कहा कि वे पिछले साल जैसी ही भर्ती करेंगे। बाकी कंपनियों की योजना है कि वे हायरिंग को थोड़ा बढ़ाएंगी।
सबसे अहम बात यह रही कि 91.67% CEO ने कहा कि भारत की मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिति उनके बिज़नेस को वैश्विक अस्थिरता के बीच भी संभालने में मदद कर रही है।
(रिपोर्ट: देव चटर्जी, इनपुट: सोहिनी दास, शाइन जैकब, गुलवीन औलख, इशिता अयन दत्त, उदिशा श्रीवास्तव और पीरजादा अबरार)