बिजली मंत्रालय ने ब्रह्मपुत्र नदी घाटी से 65 गीगावॉट पनबिजली की आपूर्ति के लिए विस्तृत मास्टर प्लान तैयार किया है। इसमें पारेषण लाइन का जाल बिछाने पर 6.4 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। इसके जरिये पूर्वोत्तर खास तौर पर अरुणाचल प्रदेश की जलविद्युत परियोजनाओं से बिजली की आपूर्ति की जाएगी।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा अन्य सरकारी विभागों के परामर्श से तैयार की गई योजना में 31,000 सर्किट किलोमीटर पारेषण लाइन, 68 गीगावोल्ट एम्पीयर (जीवीए) ट्रांसफॉर्मेशन क्षमता और 42 गीगावॉट उच्च वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एचवीडीसी) संवहन क्षमता जोड़ने की रूपरेखा बताई गई है। भारत में कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता 495 गीगावॉट है जिसमें जल विद्युत परियोजनाओं का योगदान वर्तमान में 50 गीगावॉट है। देश में 4,96,000 सर्किट किलोमीटर पारेषण लाइनों का जाल बिछा है जिनकी बिजली ट्रांसफॉर्मेशन क्षमता 1,375 जीवीए है।
मास्टर प्लान को दो समयसीमा में बांटा गया है, 2035 तक और 2035 के बाद। इसमें अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली और समर्पित पारेषण लाइनें दोनों शामिल हैं। मंत्रालय ने इसके लिए सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी, ग्रिड-इंडिया, पूर्वोत्तर राज्यों, एनएचपीसी, एसजेवीएन, टीएचडीसी और नीपको के साथ कई बार परामर्श किया है। मंत्रालय ने मास्टर प्लान दस्तावेज में कहा, ‘नए और मौजूदा सब-स्टेशनों के विस्तार सहित आवश्यक पारेषण प्रणाली पर कुल 6,42,944 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।’ इसमें 2035 तक 1,91,009 करोड़ रुपये तथा 2035 के बाद 4,51,935 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च भी शामिल है। 5,80,000 वर्ग किलोमीटर में फैले ब्रह्मपुत्र घाटी में चीन का हिस्सा 50.5 फीसदी, भारत का 33.6 फीसदी, बांग्लादेश का 8.1 फीसदी और भूटान का 7.8 फीसदी है।