दीवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) पेश किए जाने के वर्षों बाद अब ज्यादातर कंपनियां समाधान पा रही हैं और परिसमापन यानी कंपनियों का अस्तित्व खत्म करने की संख्या कम हो रही है। भारतीय दीवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने अपने ताजा न्यूजलेटर में यह जानकारी दी है।
दीवाला नियामक ने कहा कि साल 2017-18 में एक मामले का समाधान होता था तो 5 कंपनियां परिसमापन में जाती थीं। आईबीबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि 2024-25 में दिसंबर तक हर 1 कंपनी के समाधान पर सिर्फ1.3 का परिसमापन हुआ है।
आईबीबीआई के चेयरपर्सन रवि मित्तल ने न्यूजलेटर में कहा, ‘संहिता के तहत कंपनियों के परिसमापन की संख्या में कमी साफ नजर आ रही है। पिछले कुछ साल में परिसमापन की प्रक्रिया में कई महत्त्वपूर्ण सुधार हुए हैं, लेकिन अभी आगे और सुधार की गुंजाइश है।’ 31 दिसंबर, 2024 तक कुल दीवाला मामलों में से करीब 44 फीसदी मामलों को परिसमापन के साथ बंद किया गया है।
दिसंबर 2024 तक 2,707 कॉरपोरेट दीवाला समाधान प्रक्रिया को परिसमापन के साथ खत्म किया गया, जिसमें 8,788 करोड़ रुपये की वसूली हो सकी है, जबकि कुल 2,43,703 करोड़ रुपये के दावे किए गए थे। परिसमापन में समाप्त होने वाले कुल मामलों में से 211 में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के दावे स्वीकार किए गए थे और इनका कुल दावा 9.59 लाख करोड़ रुपये का था। आईबीबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि इन कंपनियों की जमीनी स्तर पर परिसंपत्तियां सिर्फ 0.4 लाख करोड़ रुपये मूल्य की थीं।
दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि केवल 93 कंपनियां ही परिसमापन प्रक्रिया के तहत बिक्री के माध्यम से बंद हुईं, जिनके दावों की राशि 1,48,537.56 करोड़ रुपये थी, जबकि परिसमापन मूल्य 5,432.97 करोड़ रुपये था। आईबीबीआई ने कहा, ‘इन मामलों में परिसमापकों ने 4,408.59 करोड़ रुपये की वसूली की और कंपनियां बचा ली गईं।’
दीवाला नियामक ने अपनी रिपोर्ट में विशेष तौर पर उल्लेख किया है कि दावे की तुलना में परिसमापन के बाद मिली राशि कॉरपोरेट दीवाला समाधान प्रक्रिया की तुलना में बहुत कम रही है और कुछ मामलों में यह परिसमापन मूल्य से भी कम रही है। मित्तल ने कहा, ‘कई संकटग्रस्त इकाइयों का संहिता के तहत परिसमापन किया जा रहा है और दावेदारों को मिलने वाली राशि में सुधार की आवश्यकता बढ़ रही है। इसे देखते हुए जरूरी है कि बेहतर परिणामों के लिए परिसमापन प्रक्रिया में और सुधार किया जाए।’
आईबीबीआई इस समय आईबीसी ई- नीलामी के लिए बैंक एसेट ऑक्शन नेटवर्क (बीएएएनकेएनईटी) की प्रायोगिक परियोजना चला रहा है, जिसमें उपयोग के अनुभवों के आधार पर सुधार किया जाएगा। मित्तल ने कहा, ‘अब तक प्लेटफॉर्म की सफलता से प्रोत्साहित होकर आईबीबीआई ने यह डिजिटल फ्रेमवर्क बढ़ाकर आईबीसी के तहत परिसमापन प्रक्रिया तक करने का फैसला किया है।’अब तक प्लेटफॉर्म पर करीब 210 परिसंपत्तियां सूचीबद्ध की गई हैं और 25 नीलामियों की योजना बनी है या नीलामी की गई है।