केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बिना इस्तेमाल वाले स्पेक्ट्रम आवंटन में एकमुश्त बदलाव कर मंत्रालयों को देने की मंजूरी दे दी है। संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को बताया कि इस फैसले से दूरसंचार विभाग (डीओटी) को 687 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम हासिल होगा। इससे इस विभाग की कुल स्पेक्ट्रम उपलब्धता बढ़कर 1,587 मेगाहर्ट्ज हो सकती है।
सिंधिया ने सीओएआई डीआईजीआईसीओएम समिट 2025 में कहा कि हर मंत्रालय को आवंटित किए गए स्पेक्ट्रम पर नजर रखने के लिए सचिवों की समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने स्पेक्ट्रम के मुनासिब इस्तेमाल पर भी नजर रखी। मंत्री ने बताया कि मंजूर किए गए 687 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम में से 328 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम तत्काल जारी कर दिया जाएगा।
संचार मंत्री ने बताया, ‘इस साल के अंत तक कुछ स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा। कुछ स्पेक्ट्रम 2028 और 2029 में मिलना है। यह हमें 2030 की तैयारी करने में मदद करेगा।’ ज्यादातर स्पेक्ट्रम रक्षा मंत्रालय और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से मिलना है।
भारत को मोबाइल सेवा को आसानी से चलाने के लिए साल 2030 तक विभिन्न बैंड्स पर 2,000 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की जरूरत है। सिंधिया ने बताया, ‘हमारे पास 2जी, 3जी, 4जी और 5जी के लिए 900 मेगाहर्ट्ज उपलब्ध है। इसका अर्थ यह है कि 2030 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 1,100 मेगाहर्ट्ज की कमी है।’
दूरसंचार विभाग ने शेष जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त स्पेक्ट्रम का अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि दूरसंचार विभाग के इस अनुरोध पर समिति दूसरे दौर के विचार-विमर्श में मूल्यांकन करेगी। दूरसंचार उद्योग के निकाय सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इस कदम की सराहना की है।
बीएसएनएल 4जी समय पर
संचार मंत्री ने इस अवसर पर बताया कि सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ने 4जी के 72,000 टावर लगा दिए हैं। यह 2025 के मध्य तक एक लाख टावर लगाने और 4 जी सेवा शुरू करने के लक्ष्य के अनुरूप चल रही है। बीएसएनएल की 4जी सेवाएं शुरू करने की योजना में कई बार देरी हुई है। हालांकि तीन निजी दूरसंचार कंपनियों रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया 4जी सेवाएं शुरू कर चुकी हैं। बीएसएनएल का अक्टूबर अंत में उपभोक्ता आधार 9.23 करोड़ था, जबकि इसकी वायरलेस मार्केट में हिस्सेदारी 8.05 फीसदी थी।