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भारतीय फार्मा संयंत्रों की USFDA जांच में इजाफे के बावजूद ग्लोबल लेवल पर हिस्सेदारी बहुत कम

Last Updated- June 04, 2023 | 10:33 PM IST
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भारतीय फार्मा संयंत्रों की USFDA जांच में हालांकि इजाफा हो रहा है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि कुल वैश्विक निरीक्षण में भारतीय स्थलों की हिस्सेदारी औसत रूप से केवल नौ प्रतिशत ही है।

इसके अलावा हालांकि निरीक्षण की यह रफ्तार कैलेंडर वर्ष 2020 से बढ़ रही है, लेकिन यह अब भी कोविड-19 से पहले के स्तरों से काफी नीचे है।

इंडिया रेटिंग्स (India Ratings) के एक विश्लेषण के अनुसार भारतीय फार्मा को कैलेंडर वर्ष 2009 से वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही के दौरान कुल वैश्विक निरीक्षणों में से औसत नौ प्रतिशत का सामना करना पड़ा है।

इंडिया रेटिंग्स के एसोसिएट निदेशक कृष्णनाथ मुंडे ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि यूएसएफडीए के आंकड़ों के अनुसार भारतीय फार्मा ने कैलेंडर वर्ष 09 से वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही के दौरान औसतन नौ प्रतिशत निरीक्षण का सामना किया, जबकि अमेरिका में यह दर 61 प्रतिशत थी।

ऐसा तब है, जब भारतीय कंपनियां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (USFDA) द्वारा मंजूर किए गए संयंत्रों (एपीआई और फॉर्मूलेशन दोनों) की संख्या के मामले में दूसरे स्थान पर हैं, एएनडीए फाइलिंग (फॉर्मूलेशन के लिए जरूरी) की सबसे बड़ी बाजार हिस्सेदारी (लगभग 35 प्रतिशत), डीएमएफ फाइलिंग (एपीआई के लिए जरूरी, बाजार हिस्सेदारी लगभग 50 प्रतिशत) की सबसे बड़ी संख्या तथा अमेरिकी जेनेरिक बाजार में लगभग 40 प्रतिशत मात्रात्मक हिस्सेदारी है।

इंड-रा का मानना है कि भारतीय संयंत्रों के लिए यूएसएफडीए की जांच उद्योग का जरूरी हिस्सा है, लेकिन भारत अकेला नहीं है। मुंडे ने कहा कि हालांकि कंपनियों ने अमेरिकी परिचालन कम कर दिया है, लेकिन फिर भी यह भारतीय फार्मा के लिए महत्वपूर्ण दवा बाजार बना हुआ है। शीर्ष फार्मा फर्मों की बिक्री में इसका लगभग एक-तिहाई योगदान रहता है।

भारतीय कंपनियों ने पिछले दो दशकों के दौरान अमेरिका में अपनी मौजूदगी में काफी इजाफा किया है और संपूर्ण कारोबार सादे से जटिल जेनेरिक में तब्दील हो चुका है और अब अमेरिका में विशिष्ट जेनेरिक पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

बढ़ती जांच और कुछ संयंत्रों के निगरानी में आने के बावजूद शीर्ष फार्मा फर्मों की अमेरिकी बिक्री में वास्तव में कुछ साल के दौरान इजाफा हुआ है। उदाहरण के लिए जायडस लाइफसाइंसेज ने वित्त वर्ष 17 में 3,709.2 करोड़ रुपये का अमेरिकी राजस्व (समेकित राजस्व का लगभग 38 प्रतिशत) दर्ज किया, जो वित्त वर्ष 23 में बढ़कर 7,445.1 करोड़ रुपये (कुल राजस्व का 43 प्रतिशत) हो गया।

इस साल की शुरुआत में निर्मल बांग ने एक रिपोर्ट में कहा था कि यूएसएफडीए की नियामक अनिश्चितता फार्मा क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चिंता है, इसके अलावा अमेरिकी जेनेरिक में कीमतों में गिरावट भी है। साथ ही यूएसएफडीए निरीक्षण की दर इस स्तर से बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि निरीक्षणों की संख्या अब भी कोविड से पहले वाले स्तर से कम है।

निर्मल बंग ने कहा कि पारंपरिक उत्पादों में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच यूएसएफडीए निरीक्षणों में यह अपेक्षित वृद्धि विस्तृत जांच के साथ-साथ अधिक जटिल/विशेष दवा फाइलिंग दोनों के कारण है।

First Published - June 4, 2023 | 10:33 PM IST

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