इन्फोसिस के सह-संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन ने आज बेंगलूरु में आयोजित कार्यक्रम पैन आईआईटी वर्ल्ड ऑफ टेक्नोलॉजी (पीआईडब्ल्यूओटी) में मुख्य भाषण के दौरान कहा कि भारत को अनुसंधान और विकास (R&D) में खर्च को जीडीपी के मौजूदा 0.7 प्रतिशत से तीन गुना बढ़ाकर तीन प्रतिशत करने की जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को कुल R&D खर्च में 1.5 प्रतिशत का योगदान करने की जरूरत है।
भारत ने साल 2020-21 के दौरान R&D पर अपना खर्च दोगुना करते हुए तकरबीन 1,27,380 करोड़ रुपये कर दिया है, जो साल 2010-11 में करीब 60,000 करोड़ रुपये था।
गोपालकृष्णन ने कहा कि हालांकि जीडीपी के प्रतिशत के रूप में यह खर्च केवल 0.7 प्रतिशत है, जिसे कई गुना बढ़ाने की जरूरत है। भारत में पेटेंट के लिए आवेदनों की संख्या साल 2022 में 31.6 प्रतिशत बढ़ी है, जो दुनिया की सर्वाधिक संख्या में शुमार है।
गोपालकृष्णन ने कहा कि भारत ने हाल के दिनों में वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) में भी इजाफा देखा है। देश भर के जीसीसी में से कई स्वयं को R&D केंद्र में तब्दील कर रहे हैं। इसके अलावा कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विश्व स्तर पर दूसरे या तीसरे सबसे बड़े R&D केंद्र भारत में हैं।
गोपालकृष्णन ने शैक्षणिक संस्थानों में एआई और डेटा विज्ञान जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में पाठ्यक्रम शुरू करने की जरूरत पर भी जोर दिया और कहा कि भारत के पास दुनिया के सबसे बड़े आईटी और स्टेम के प्रतिभा पूलों में एक है।
उन्होंने कहा ‘आईटी सेवा उद्योग को वृद्धि जारी रखनी चाहिए क्योंकि यह रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है और देश में विदेशी मुद्रा ला रही है।
हमें आज उत्पाद क्षेत्र का विकास करना चाहिए क्योंकि यह लगभग 13 से 14 अरब डॉलर का योगदान करता है और इसे 30 अरब डॉलर तक ले जाना चाहिए। हमें आईटी में अनुसंधान पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि हम अगली पीढ़ी की उन एआई, प्रौद्योगिकियों को देख सकें, अब से 10 साल बाद उद्योग के लिए जो प्रासंगिक होने जा रही हैं।
हमें अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर अब उन चीजों पर काम करना शुरू कर देना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि विश्व की 20 प्रतिशत आबादी का घर होने की वजह से वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र में भारत की बहुत बड़ी भूमिका है।