राजस्व के आधार पर भारत क्विक कॉमर्स के लिए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। स्टेटिस्टा के अनुमान के अनुसार यह चीन और अमेरिका जैसे दिग्गजों से भले ही बहुत पीछे हो मगर जापान, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देशों जैसे परिपक्व बाजारों से बहुत आगे है।
यह अनुमान भी लगाया गया है कि भारत शीर्ष तीन में सबसे तेजी से बढ़ने वाला बाजार होगा जो 2025 से 2030 के बीच सालाना 15.5 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़ेगा जबकि अमेरिका में 6.72 फीसदी और चीन में 7.9 फीसदी की वृद्धि होगी।
क्विक कॉमर्स क्षेत्र में पूंजी निवेश जुटाने के मामले में भी भारत प्रमुख देशों में से एक रहा है। मार्केटिंग और मीडिया अलायंस – पब्लिसिस कॉमर्स के एक अध्ययन में पाया गया है कि पिछले एक दशक में भारत को क्विक कॉमर्स के क्षेत्र में 6.8 अरब डॉलर का निवेश मिला है जो अमेरिका के 7.9 अरब डॉलर निवेश से कम है मगर जर्मनी को 4.6 अरब डॉलर, ब्रिटेन को 2.4 अरब डॉलर और तुर्किये को मिले 2.5 अरब डॉलर से अधिक है।
2025 में वैश्विक क्विक कॉमर्स के अनुमानित 198.06 अरब डॉलर राजस्व में 2.71 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ, भारत का राजस्व अगले 5 साल में दोगुना होने की उम्मीद है। यह 2025 के 5.38 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 11.08 अरब डॉलर हो जाएगा, जिससे वैश्विक स्तर पर इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 4 फीसदी हो जाएगी।
स्टेटिस्टा का अनुमान है कि इस दौरान भारत में उपयोगकर्ताओं की संख्या 6.5 करोड़ तक पहुंच जाएगी, जिससे वैश्विक क्विक कॉमर्स उपभोक्ताओं में इसकी हिस्सेदारी 7 फीसदी हो जाएगी।
2025 में चीन 92.6 अरब डॉलर के अनुमानित राजस्व के साथ शीर्ष पर बना हुआ है जबकि अमेरिका 62 अरब डॉलर के अपेक्षित राजस्व के साथ दूसरे स्थान पर है। वर्तमान में कुल वैश्विक क्विक कॉमर्स राजस्व में इन दोनों देशों की हिस्सेदारी 78 फीसदी से अधिक है।
दिलचस्प है कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं सहित अन्य ज्यादातर देशों में क्विक कॉमर्स में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं दिखी है। दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में कुछ तेजी आई है जिसमें जापान अब चौथा सबसे बड़ा बाजार है। उसके बाद दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और ताइवान हैं।
पश्चिमी बाजारों में केवल ब्रिटेन ने आठवें स्थान पर रहते हुए उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है जबकि फ्रांस, जर्मनी और इटली में अभी तक व्यापक रूप से इसे नहीं अपनाया गया है।
भारत में ब्लिंकइट, जेप्टो, इंस्टामार्ट, फ्लिपकार्ट मिनट्स और बिगबास्केट जैसे प्रमुख क्विक कॉमर्स कपंनियां पहले ही 70 से 100 से अधिक शहरों में विस्तार कर चुकी हैं।
एमएमए-पब्लिसिस के अनुसार लगभग 2 करोड़ सक्रिय क्विक कॉमर्स खरीदार हैं और ये कंपनियां तेजी से डिलिवरी सुनिश्चित करने के लिए कुल 4,600 से अधिक डार्क स्टोर्स का संचालन करती हैं, जिनमें मासिक लेनदेन करने वाले उपयोगकर्ताओं की संख्या 40 से 50 लाख तक है।