पिछले सप्ताह श्रम संहिता लागू होने के बाद देश की आईटी सेवा क्षेत्र की कंपनियों की वेतन लागत 10 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। विशेषज्ञों ने यह अनुमान जताया है। हालांकि कई लोग इस बात से सहमत हैं कि यह नई संरचना इस क्षेत्र में कुछ कमियों को दूर करने में मदद करेगी, जिसे पिछले कुछ दशकों के दौरान काफी हद तक सामान्य रूप दिया जा चुका है।
भारतीय आईटी/आईटी सेवा क्षेत्र सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों में से एक है। अनअर्थइनसाइट्स के अनुसार वित्त वर्ष 26 के दौरान उद्योग में 58 लाख कर्मचारी होने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों ने बताया कि 40 साल से अधिक आयु वाले सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य मुफ्त स्वास्थ्य-जांच भी मुख्य खर्च होगी, जो पहले की संहिता में कानूनी रूप से जरूरी नहीं थी। टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल में अच्छी-खासी संख्या में कर्मचारी मझोले स्तर वाले प्रबंधक हैं, जो उस विशिष्ट सीमा से ऊपर के हैं तथा सालाना चिकित्सा जांच से निश्चित रूप से खर्च बढ़ेगा। अलबत्ता अभी यह देखा जाना बाकी है कि कंपनियां उस जांच के तहत किन चीजों को शामिल करना चाहती हैं और क्या कुछ ऐसी भी जांच हैं जिनका खर्च वे कर्मचारियों से उठवाना चाहती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह नई श्रम संहिता देश के आईटी और आईटी सेवा क्षेत्र के लिए अहम बदलाव हैं, क्योंकि ऐसा पहली बार है कि ये कंपनियां केंद्र सरकार की ओएसएच संहिता के साथ-साथ राज्य के दुकान एवं प्रतिष्ठान नियमों से चलेंगी और काम के घंटे, ओवरटाइम, कल्याण और वैधानिक दस्तावेजों के संबंध में कड़े नियम लाए जा रहे हैं।
ईवाई इंडिया के ग्लोबल कंप्लायंस प्रैक्टिस लीडर जिग्नेश ठक्कर ने कहा, ‘वेतन की इस विस्तारित परिभाषा से प्रोविडेंट फंड (पीएफ), ग्रेच्युटी और लीव बेनिफिट खर्च बढ़ जाएगा, जिससे भारत में पेरोल लागत अनुमानित रूत से 5 से 10 प्रतिशत बढ़ जाएगी।’
ये संहिताएं बड़े स्तर पर नौकरी से निकालने पर भी रोक लगाती हैं और नए कौशल सीखाने के फंड में योगदान जैसी जिम्मेदारियां भी पेश करती हैं। बड़े नियोक्ता भी स्टैंडिंग ऑर्डर्स, शिकायत प्रक्रिया और डिजिटल-कंडक्ट नियमों के जरिये सामान्य श्रम-संबंध संरचना के तहत आएंगे।
स्पेशलिस्ट स्टाफिंग कंपनी एक्सफेनो के मुख्य कार्य अधिकारी कमल कारंत का कहना है कि बेसिक पे को कंपनी की कुल लागत (सीटीसी) का कम से कम आधा करने की वजह से रिटायरमेंट के पीएफ और ग्रेच्युटी जैसे फायदे, जो बेसिक से जुड़े होते हैं, बढ़ जाएंगे। उन्होंने काह, ‘जहां टेक होम कम होगा, वहीं रिटायरल ज्यादा होगा जिससे आईटी कंपनियों की लागत बढ़ेगी।’
इस लागत से आईटी कंपनियों की चिंता बढ़ जाएगी, जो कई कारणों से पिछले कुछ सालों से अनिश्चित और अस्थिर व्यापक आर्थिक माहौल से गुजर रही हैं। उनमें से कई कंपनियां अपना तिमाही मार्जिन बरकरार रखने के लिए वेतन वृद्धि टालती आ रही हैं, ऐसे समय में जब राजस्व वृद्धि पर लगातार दबाव है और इससे भी ज्यादा आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के असर की वजह से है।