कैलेंडर वर्ष 19 के महामारी से पहले के स्तर की तुलना में कैलेंडर वर्ष 23 के दौरान भारत में हल्के वाहनों की बिक्री में 35 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो दुनिया के शीर्ष 10 बाजारों के सबसे तेज सुधार में से एक है। एसऐंडपी ग्लोबल मोबिलिटी के शोध में यह जानकारी मिली है। यह शोध एजेंसी विश्व स्तर पर ‘हल्के वाहनों’ की अपनी परिभाषा में यात्री वाहनों और हल्के वाणिज्यिक वाहनों को शामिल करती है।
अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस, इटली और दक्षिण कोरिया जैसे अन्य वैश्विक बाजार अब भी पीछे हैं और वैश्विक महामारी से पहले वाले स्तर पर बने हुए हैं। केवल चीन ही सकारात्मक क्षेत्र में है, जो साल 2019 के महामारी वाले स्तर की तुलना में साल 2023 में 2.6 प्रतिशत बढ़ा है।
एसऐंडपी ग्लोबल मोबिलिटी का यह भी अनुमान है कि अगले दशक में भारत वैश्विक वाहन वृद्धि के प्रदर्शन को आगे बढ़ाएगा। जहां जापान, जर्मनी और अमेरिका में कैलेंडर वर्ष 35 तक नए वाहनों की बिक्री में कमी होगी, वहीं भारत कैलेंडर वर्ष 24 के 49 लाख वाहन (अनुमानित) और कैलेंडर वर्ष 25 के 51 लाख वाहन से बढ़कर कैलेंडर वर्ष 35 तक 82 लाख के स्तर तक पहुंच जाएगा।
एसऐंडपी ग्लोबल मोबिलिटी का कहना है कि परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर हल्के वाहन बाजार में भारत की हिस्सेदारी कैलेंडर वर्ष 23 के 5.5 प्रतिशत से बढ़कर कैलेंडर वर्ष 35 में 8 प्रतिशत हो जाएगी। शोध के अनुसार साल 2010 में भारत की हिस्सेदारी केवल 3.80 प्रतिशत थी।
इसके विपरीत अमेरिका में हल्के वाहनों की बिक्री की वृद्धि कैलेंडर वर्ष 25 के 1.65 करोड़ से घटकर कैलेंडर वर्ष 35 में 1.6 करोड़ रहने का अनुमान है।