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अल्पावधि में टिकाऊ नहीं रहेगा स्टील का ज्यादा निर्यात : इक्रा

Last Updated- December 15, 2022 | 4:54 AM IST

देश में कमजोर मांग से भारतीय स्टील उत्पादक इस जिंस के निर्यात के लिए प्रोत्साहित हुए, लेकिन रेटिंग एजेंसी का मानना है कि भारत से स्टील का इतना ज्यादा निर्यात अल्पावधि में टिकाऊ नहीं रहेगा।
अप्रैल-मई 2020 में तैयार स्टील का निर्यात 76 फीसदी बढ़कर 17.1 लाख टन रहा जबकि इस अवधि में देसी मांग में 69 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। वास्तव में भारत से अर्धनिर्मित स्टील का निर्यात अप्रैल-मई 2020 में 281 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी के साथ 12.9 लाख टन पर पहुंच गया और इसका 78 फीसदी चीन को निर्यात हुआ। अगर तैयार स्टील और अर्धनिर्मित स्टील को जोड़ लें तो अप्रैल-मई 2020 में कुल निर्यात में चीन का योगदान करीब 48 फीसदी रहा। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने ये बातें कही।
इक्रा ने कहा, कोवड-19 महामारी के बीच देश भर में हुए लॉकडाउन के कारण देसी मांग का अभाव रहा, जिससे भारतीय स्टील निर्माता निर्यात के लिए प्रोत्साहित हुए।
इस बीच, चीन की औसत आयात खरीद कीमत 972 डॉलर प्रति टन के मुकाबले भारत को वहां हुए निर्यात से 357 डॉलर प्रति टन ही मिल पाया। यह बताता है कि भारत से निर्यात में वैल्यू ऐडेड प्रॉडक्ट मसलन अर्धनिर्मित स्टील की बहुतायत रही।
इक्रा ने कहा, निर्यात से कम कीमत मिलने के बावजूद देसी स्टील मिलें लाभ में बनी रही क्योंकि लौह अयस्क की कीमतें कम थीं। रेटिंग एजेंसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व ग्रुप हेड (कॉरपोरेट सेक्टर रेटिंग्स) जयंत रॉय के हवाले से कहा गया है कि अप्रैल-मई में हॉट रोल्ड कॉयल के निर्यात से कम कीमत मिला, लेकिन कंपनियोंं को लौह अयस्क की कीमतों में भारी कमी का फायदा मिला जैसा कि मार्च 2020 में एनएमडीसी की तरफ से कीमतें 2,860 रुपये प्रति टन से घटाकर 1,960 रुपये प्रति टन करने से प्रतिंबिबित होता है। इससे देसी ब्लास्ट फर्नेस कंपनियों को फायदा मिला।

First Published - July 14, 2020 | 12:41 AM IST

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