भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने किसी कंपनी व उसके व्यक्तिगत गारंटर की समाधान प्रक्रिया के लिए एक ही इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल (आरपी) पर लगाई पाबंदी हटा ली है। अब दोनों के लिए एक ही समाधान पेशेवर हो सकते हैं। बोर्ड ने यह कदम दोनों प्रक्रियाओं के बीच बेहतर सामंजस्य और प्रभावी सहयोग की खातिर उठाया है।
आईबीबीआई – व्यक्तिगत गारंटर से लेकर कॉरपोरेट देनदार नियमन 2019 में किया गया बदलाव 31 जनवरी से प्रभावी हो गया।
आईबीबीआई ने पर्सनल गारंटरों के मामले में लेनदारों की बैठक दिवालिया मसले पर अनिवार्य करने के लले प्रावधान में संशोधन किया है। इससे पहले व्यक्तिगत गारंटर की तरफ से जमा कराई गई भुगतान योजना के बाद रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल उसकी व्यवहार्यता का आकलन कर निर्णायक प्राधिकारी के पास रिपोर्ट इस सिफारिश के साथ जमा कराएंगे कि लेनदारों की बैठक बुलाई जाए या नहीं।
अगर प्रोफेशनल को लगता है कि ऐसी बैठक अनावश्यक है तो वह इसकी वजह बताएंगे।रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल किसी बीमार कंपनी का परिचालन तब देखते हैं जब उसकी दिवालिया प्रक्रिया शुरू होती है और वह समाधान प्रक्रिया में लेनदारों की समिति, निर्णायक प्राधिकरण और संभावित बोलीदाताओं के बीच समन्वय करते हैं।
यह प्रावधान शुरुआत में कम जटिल मामलों के तेजी से समाधान निकालने के लिए किया गया था जहां लेनदारों की बैठक लगातार बुलाने की अनिवार्य जरूरत न हो।
आईबीबीआई ने इस प्रावधान में संशोधन व्यक्तिगत गारंटर के मामले में पेचीदगियों को ध्यान मं रखते हुए किया है, जिससे अक्सर विस्तृत वित्तीय पारस्परिक निर्भरता व कई लेनदार जुड़े होते हैं और वहां और उचित प्रक्रिया की दरकार होगी।
आईबीबीआई ने कहा, लेनदारों को अनिवार्य तौर पर शामिल किए जाने से समाधान प्रक्रिया का विस्तृत व सहयोगकारी तरीका सामने आएगा, जिससे इच्छित नतीजे मिलने और व्यवस्था की निष्पक्षता में इजाफा होगा।