सत्यम में हेराफेरी के खुलासे के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार में शामिल एक धड़ा हैदराबाद मेट्रो रेल परियोजना के आवंटन को रद्द करने के पक्ष में है।
उल्लेखनीय है कि यह परियोजना सत्यम के प्रवर्तक रामलिंग राजू के बेटों की कंपनी मायटास इन्फ्रा से संबंद्ध नव भारत के नेतृत्व वाली कंपनी समूह को आवंटित की गई है।
सीपीएम के महासचिव प्रकाश करात ने भी सरकार से कहा है कि मायटास की सभी परियोजनाओं की जांच कराई जाए।
योजना आयोग के सूत्रों के मुताबिक, अगर इस परियोजना के लिए फिर से निविदा आमंत्रित की जाती है, तो इसकी आरक्षित कीमत करीब 15,000 करोड़ रुपये हो सकती है, जबकि पहले इसकी आरक्षित कीमत 3,000 करोड़ रुपये रखी गई थी।
सत्यम में 7000 करोड़ रुपये के घोटाले मामले में भी सरकार और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज मायटास की जांच कर रही है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की रिपोर्ट आने के बाद कंपनी मामलों का मंत्रालय इस बारे में आगे की कार्रवाई करेगी।
एक मंत्री ने कहा कि सरकार सत्यम के प्रवर्तकों से संबंध सभी कंपनियों की जांच कर रही है और उन कंपनियों के साथ सरकारी परियोजनाओं की भी समीक्षा की जा रही है। हैदराबाद मेट्रो परियोजना के लिए नव भारत की कंसोर्टियम ने सबसे कम बोली लगाई थी।
इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस कंपनी आईएलएफएस और इटली-थाई डेवलपमेंट पब्लिक कंपनरी लिमिटेड भी नव भारत की सहयोगी कंपनी है। शुरुआत में सरकार की ओर से परियोजना की कुल लागत का 20 फीसदी, यानी 2,363 करोड़ रुपये देने की बात कही गई थी।
लेकिन नव भारत की ओर से सरकार को कहा गया कि उन्हें इस तरह का कोई अनुदान नहीं चाहिए। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रमुख ई. श्रीधरन ने शुरू में ही परियोजना के लिए जमीन आवंटन के प्रारूप का विरोध किया था।
उनका कहना था कि सरकार के इस कदम से भविष्य में राजनीतिक घोटाले होने की आशंका है। लेकिन आंध्र प्रदेश सरकार ने उनकी बात को सिरे से खारिज कर दिया था।