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प्रतिस्पर्धियों से कैसे अलग है रिलायंस जियो

Last Updated- December 11, 2022 | 9:21 PM IST

रिलायंस जियो ने भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के उस कदम का विरोध किया है जिसमें आगामी नीलामियों में 5जी स्पेक्ट्रम के साथ ई बैंड की योजना पर जोर दिया गया है। ई बैंड स्पेक्ट्रम (71-76 और 81-87 गीगाहट्र्ज) का इस्तेमाल दूरसंचार कंपनियों द्वारा माइक्रोवेव लिंकेज और टावरों की बदला-बदली के लिए किया जा सकेगा और यह बड़ी मात्रा में हाई स्पीड डेटा को सक्षम बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसका इस्तेमाल स्पेक्ट्रम तक पहुंच के लिए भी किया जा सकेगा।  
मतभेद मंगलवार को ट्राई की बैठक में स्पष्ट देखा गया, जिसमें सभी प्रमुख हितधारकों – दूरसंचार कंपनियों, आईएसपी, दूरसंचार उपकरण निर्माताओं को अपने विचार पेश करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
जियो ने विभिन्न मुद्दों को लेकर विरोध जताया है। पहला, ऑपरेटरों को उस ई स्पेक्ट्रम की मात्रा निर्धारित करने की स्वायत्तता दी जानी चाहिए जो वे खरीदना चाहते हों, बजाय कि नियामक द्वारा निर्धारित 5जी स्पेक्ट्रम के। दूसरा, जरूरत के आधार पर, कुछ दूरसंचार कंपनियां छूट में दी जाने वाली मात्रा के मुकाबले कम या ज्यादा भी खरीद सकती हैं, जिससे कि उनके पास उसे बचाए रखने का विकल्प हो। तीसरा, ऐसे ऑपरेटर होने चाहिए, जो ई वेव स्पेक्ट्रम खरीदारी के लिए नीलामी में हिस्सा ले सकें और पूरी तरह 5जी खरीदारी में दिलचस्पी न रखते हों। इसलिए उन्हें अवसर से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए।
भारती ने नियामक को भेजे अपने सुझाव में कहा है कि वह मिड बैंड 5जी स्पेक्ट्रम के साथ अनिवार्य रियायत के लिए ई बैंड चाहती है। उसने उन ऑपरेटरों के लिए ग्रेडेड मेथड-2 चैनल-250 मेगाहट्र्ज का सुझाव दिया है, जो मिड बैंड में 40 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम, 60 मेगाहट्र्ज खरीदने वाले ऑपरेटर के लिए 3 चैनल और 80 मेगाहट्र्ज के लिए 4 चैनल खरीदते हैं। उसका मानना है कि ई बैंड 5जी बैकहॉल के लिए जरूरी है, जो ग्राहकों को 5जी सेवाएं पेश करने के लिए महत्वपूर्ण है। वीआईएल ने यह भी दोहराया है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत, जैसा कि स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी, श्रेष्ठ तरीका उसे 3300-3600 मेगाहट्र्ज मिड बैंड पहुंच वाले स्पेक्ट्रम को सिर्फ बैकहॉल मकसद से जोडऩा है।

First Published - February 9, 2022 | 11:09 PM IST

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