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अमेरिका ने H1B वीजा शुल्क 1 लाख डॉलर किया, अमेजॉन-माइक्रोसॉफ्ट-TCS जैसी दिग्गज कंपनियां सीधे प्रभावित

एमेजॉन 10,444 एच-1बी वीजा के साथ सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) 5,505 वीजा के साथ दूसरे स्थान पर है

Last Updated- September 21, 2025 | 10:34 PM IST
H-1B visa fee
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारतीय आईटी सेवा क्षेत्र को अमेरिकी प्रशासन द्वारा एच-1बी वीजा शुल्क को बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर किए जाने से झटका लग सकता है, लेकिन इससे तगड़ा झटका अमेरिका की बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को लगेगा। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के आंकड़ों से 2025 में एच-1बी कार्यक्रम के वास्तविक लाभार्थियों का पता चलता है। वीजा हासिल करने वाली अग्रणी 10 कंपनियों में केवल दो भारतीय आईटी सेवा कंपनियां हैं और बाकी वैश्विक तकनीक और परामर्श कंपनियां हैं।

एमेजॉन 10,444 एच-1बी वीजा के साथ सूची में सबसे ऊपर है। उसके बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) 5,505 वीजा के साथ दूसरे स्थान पर है। माइक्रोसॉफ्ट को 5,189, मेटा को 5,123, ऐपल को 4,202, गूगल को 4,181 और जेपी मॉर्गन चेज को 2,440 वीजा मिले। भारतीय मूल की दूसरी कंपनी कॉग्निजेंट है जो 2,493 वीजा के साथ आठवें स्थान पर है। यूएससीआईएस पर यह आंकड़ा 30 जून, 2025 तक का है।

 इसलिए कोई ताज्जुब की बात नहीं है कि माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों ने तुरंत आंतरिक यात्रा परामर्श जारी कर एच-1बी कर्मचारियों से अमेरिका में ही रहने का आग्रह किया। माइक्रोसॉफ्ट ने कर्मचारियों को भेजे ईमेल में कहा है, अगर आप एच1-बी वीजा पर हैं और अमेरिका में हैं तो आपको निकट भविष्य में अमेरिका में ही रहना चाहिए। इस ईमेल को बिजनेस स्टैंडर्ड ने देखा है।

उद्योग निकाय नैसकॉम ने अपने बयान में कहा है कि वह आदेश के बारीकियों की समीक्षा कर रहा है। लेकिन इस प्रकार के समायोजन से अमेरिका के नवाचार तंत्र और व्यापक रोजगार अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। बयान में कहा गया है, इसका असर एच-1बी वीजा पर काम करने वाले वैश्विक और भारतीय कंपनियों के लिए काम करने वाले भारतीय नागरिकों पर भी पड़ेगा। भारत की प्रौद्योगिकी सेवा कंपनियां भी प्रभावित होंगी क्योंकि ऑनशोर परियोजनाओं के लिए व्यावसायिक निरंतरता बाधित होगी और अतिरिक्त लागत का समायोजन करने की आवश्यकता होगी। कंपनियां बदलावों के हिसाब से ढलने और उनका प्रबंध करने के लिए ग्राहकों के साथ मिलकर काम करेंगी। यह सच है कि भारतीय आईटी सेवा कंपनियां पिछले कुछ वर्षों में एच1-बी वीजा कार्यक्रम की सबसे बड़ी लाभार्थी रही हैं, लेकिन इस उद्योग ने ज़्यादा स्थानीय लोगों को नौकरी देकर इन वीजा पर अपनी निर्भरता भी कम की है। इसमें कैंपस से नए स्नातकों की नियुक्ति भी शामिल है।

टीसीएस हर साल अमेरिका में लगभग 2,000-2,500 कर्मचारियों की भर्ती करती है। बिजनेस स्टैंडर्ड को पहले दिए एक साक्षात्कार में टीसीएस के सीएचआरओ मिलिंद लक्कड़ ने बताया था कि महामारी के बाद से टीसीएस ने 20,000 स्थानीय कर्मचारियों की भर्ती की है।

First Published - September 21, 2025 | 10:34 PM IST

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