भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ascii) ने विज्ञापन में ऑनलाइन भ्रामक डिजाइन पैटर्न के लिए गुरुवार को दिशानिर्देश जारी किए, जिन्हें आमतौर पर ‘डार्क पैटर्न’ के रूप में जाना जाता है।
इसके तहत कंपनियों को अपने वादे में किसी भी तरह की चूक करने, सामान या सेवाओं के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर जानकारी देने या स्पष्ट सूचना देकर ग्राहकों को गुमराह नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं। ये दिशानिर्देश स्व-नियामक हैं और 1 सितंबर से प्रभावी होंगे।
दरअसल, डार्क पैटर्न उपयोगकर्ताओं को कोई विशेष सामान खरीदने या सेवाएं लेने के लिए प्रेरित करते हैं, भले ही वे इसके लिए अपनी विशेष सहमति दें या नहीं। इन दिनों इंटरनेट की दुनिया में कई तरह के डार्क पैटर्न प्रचलित हैं।
इनमें से कुछ अप्रत्यक्ष विज्ञापन होते हैं जिनमें उपभोक्ताओं को जबरन सक्रिय होने, मन बदलने आदि के लिए बाध्य किया जाता है और इसमें वस्तुओं और सेवाएं की लागत भी स्पष्ट नहीं होती है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए, एएससीआई की मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा कि इस डार्क पैटर्न में ग्राहकों द्वारा खरीदारी का मन बनाने के बाद उस सामान की कीमत बढ़ जाती है और इसमें कुछ ऐसे भी विज्ञापन होते हैं जिसमें विज्ञापनों को किसी अन्य सामग्री के जैसा दिखने के लिए डिजाइन किया जाता है और इसके अलावा ग्राहक कोई सामान अपने बास्केट में जोड़ते हैं उसकी जगह बिल्कुल समान दूसरा उत्पाद जुड़ जाता है। कई दफा सामान की कमी बताई जाती है ताकि वे दूसरा सामान खरीद लें।
एएससीआई के दिशानिर्देशों से पता चलता है कि कंपनियां अगर कीमतें स्पष्ट नहीं करती हैं तब उसे भ्रामक माना जाएगा।