देश में एक तेल रिफाइनरी की पहली हाइड्रोजन विनिर्माण परियोजना की प्रक्रिया जल्द पूरी होने वाली है, जिसके लिए 2 साल पहले नुमालीगढ़ रिफाइनरी ने निविदा जारी की थी। यह प्रति घंटे 300 किलो (2.4 केटीपीए) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की क्षमता वाली परियोजना है।
बिजनेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक हाइड्रोजन पर आधारित विनिर्माण परियोजना के लिए ग्रीनको जीरो सी (जीजेडसी) सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी बनकर उभरी है। यह निविदा ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए डिजाइन, इंजीनियरिंग, आपूर्ति, इंस्टालेशन और वाटर इलेक्ट्रोलाइजर व्यवस्था लागू करने के लिए है।
बाजार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि ग्रीनको ने 151 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। इसमें इलेक्ट्रोलाइजर लगाना, बिजली पारेषण सहित सहायक व्यवस्था लागू करना और सालाना रखरखाव का काम करना शामिल है। इस निविदा को हासिल करने की दौड़ में विनिर्माण क्षेत्र की दिग्गज एलऐंडटी और तेल क्षेत्र की इंजीनियरिंग कंपनी एचएएल ऑफशोर भी शामिल थीं।
नुमालीगढ़ रिफाइनरी के प्रबंध निदेशक भास्कर ज्योति फूकन ने बोली की प्रक्रिया की पुष्टि की, लेकिन इसके परिणाम के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। फूकन ने कहा, ‘हमने बोलियों का आवंटन नहीं किया है। यह अभी मूल्यांकन के दौर में है और हम उम्मीद करते हैं कि दो सप्ताह के भीतर इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।’
इस सिलसिले में ग्रीनको की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। सूत्रों ने कहा कि जीजेडसी द्वारा दाखिल बोली के आधार पर इलेक्ट्रोलाइजर की लागत 893 रुपये प्रति किलोवॉट आएगी।
अप्रैल 2022 में नुमालीगढ़ रिफाइनरी ने 20 मेगावॉट इलेक्ट्रोलाइजर की आपूर्ति के लिए निविदा जारी की थी, जो उसकी ग्रीन हाइड्रोजन इकाई की स्थापना के लिए था। फूकन ने कहा, ‘यह 3,000 टन सालाना (टीपीए) का संयंत्र होगा और हमारा मौजूदा उत्पादन ग्रे हाइड्रोजन संयंत्र में 48,000 टीपीए है।’ कंपनी ने 2024 के अंत तक ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र लगाने का लक्ष्य बनाया है।
नुमालीगढ़ रिफाइनरी की स्थापना कंपनी के रूप में अप्रैल 1993 में की गई थी। यह कंपनी अगस्त 195 में लागू ऐतिहासिक अससम समझौते के प्रावधानों के मुताबिक स्थापित हुई। कंपनी 23,000 करोड़ रुपये के लागत से अपनी क्षमता 3 मिलियन टन प्रति साल (एमटीपीए) से बढ़ाकर 9 एमटीपीए करने पर काम कर रही है।
जीजेडसी ग्रीनको समूह की सहायक इकाई है। इसने बेल्जियम की उच्च क्षमता वाले एल्कलाइन इलेक्ट्रोलाइजर की डिजाइनर और मैन्युफैक्चरर कंपनी जॉन कॉकेरिल के साथ समझौता किया है, जिससे भारत में ग्रीन हाइड्रोजन विनिर्माण की संभावना तलाशी जा सके।