केंद्रीय सरकार सत्यम मामले को लेकर काफी चिंतित हैं लेकिन सरकार इस मामले को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप करने के बारे में नहीं सोच रही है।
विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बताया, ‘सत्यम में जो कुछ भी हो रहा है उसे लेकर हम चिंतित जरूर हैं। लेकिन इस मामले में हमारे लिए कुछ भी करने की ज्यादा गुंजाइश नहीं है।
हम निवेशकों और शेयरधारकों को लेकर चिंतित हैं। सेबी ने पहले ही इस मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी लेते हुए काम शुरू कर दिया है।’
माना जा रहा था कि सरकार देश की पांच शीर्ष आईटी कंपनियों में शामिल सत्यम का अधिग्रहण कर लेगी। जैसा कि एनरॉन के मामले में किया गया था। मुखर्जी ने कहा, ‘इस समय सत्यम का अधिग्रहण लोगों में गलत संदेश देगा। और यह मुमकिन भी नहीं है।’
सप्रंग सरकार के सूत्रों ने बताया कि अगर किसी कंपनी का वरिष्ठ प्रबंधन धोखाधड़ी करता है और कंपनी बर्बाद हो जाती है तो सरकार द्वारा उस कंपनी का अधिग्रहण किया जाना किसी भी लिहाज से सही नहीं है।
हालांकि सरकार इस मामले की जांच कराने के लिए तैयार है। कंपनी मामलों के मंत्री प्रेमचंद गुप्ता ने पहले ही इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने राजू की ओर से किसी संभावित कर चोरी की जांच के लिए भी कहा है।
कंपनी मामलों का मंत्रालय कंपनी के निदेशक मंडल में वित्तीय, आईटी और बैंकिंग क्षेत्र के दिग्गजों की नियुक्ति कंपनी के निदेशकों के पद पर नियुक्ति करेगा। दाभोल बिजली परियोजना विफल होने के बाद सरकार ने एनरॉन समेत कई विदेशी कंपनियों के शेयर खरीदे थे।
इसके बाद रत्नागिरी गैस ऐंड पावर के नाम से बनी कंपनी में एनटीपीसी, गेल, आईडीबीआई, आईसीआईसीआई, कैनरा बैंक और महाराष्ट्र बिजली विभाग की हिस्सेदारी थी।
हालांकि सरकार के अधिकारियों ने कहा कि सत्यम की तुलना दाभोल बिजली परियोजना से नहीं की जा सकती है।