सरकार ‘काफी जल्द’ भारत की सबसे बड़ी विमान रखरखाव, मरम्मत और परिचालन (MRO) कंपनी एआई इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड (AI Engineering Services Limited) के लिए रुचि पत्र जारी करेगी और ‘कुछेक’ महीने में इसका विनिवेश पूरा होने की उम्मीद है। नागरिक उड्डयन सचिव राजीव बंसल ने आज यह जानकारी दी।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि एक बड़ा देश होने के बावजूद भारत के पास अपने खुद के वाणिज्यिक विमान निर्माण की क्षमता नहीं है और यह उसकी सबसे बड़ी विफलताओं में से एक रही है। पिछले महीने एयर इंडिया (Air India) ने 470 विमानों का ऑर्डर दिया था – 250 विमानों का ऑर्डर यूरोपीय विमान विनिर्माता एयरबस (Airbus) को और 220 विमानों का ऑर्डर अमेरिका की दिग्गज कंपनी बोइंग (Boeing) को। हालांकि यह दुनिया की अब तक की सबसे बड़ी एकल-किस्त वाली विमान खरीद है, लेकिन ये सभी विमान यूरोप और अमेरिका में बनाए जाएंगे।
सरकार ने अक्टूबर 2021 में एयर इंडिया को टाटा समूह को बेच दिया था। अलबत्ता एयर इंडिया की तीन सहायक कंपनियां – एआईईएसएल, एआई एयरपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (एआईएएसएल) और क्षेत्रीय विमानन कंपनी अलायंस एयर इस सौदे का हिस्सा नहीं थीं। सरकार ने अब इन तीनों कंपनियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सीएपीए इंडिया एविएशन समिट 2023 के दौरान उन्होंने कहा ‘हम AIESL के विनिवेश की प्रक्रिया में हैं, जो भारत में सबसे बड़ी MRO है। यह एक अच्छा MRO है। मुझे इसका नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला था। अब यह नुकसान में नहीं है। इसका राजस्व और लाभ भी अच्छा है। मुझे लगता है कि यह विनिवेश होने पर, जिसका अब से कुछ महीने में उम्मीद है, यह भारतीय विमानन उद्योग के लिए अच्छा रहेगा।’
बंसल ने कहा कि AIESL की विनिवेश प्रक्रिया अभी ‘उन्नत चरण’ में है और सरकार इसके निजीकरण के लिए ‘काफी जल्द’ रुचि पत्र जारी करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार संभावित निवेशकों से जुड़ने के लिए पहले ही रोड शो कर चुकी है। सचिवों के समूह ने AIESL के विनिवेश को मंजूरी दे दी है और अब यह मामला एयर इंडिया विशिष्ट वैकल्पिक तंत्र (मंत्रिस्तरीय समूह है) के समक्ष है।
बंसल ने उन तीन प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जिनसे भारतीय विमानन क्षेत्र को जूझना पड़ता है। सबसे पहली, भारत में किसी भी बड़ी MRO सुविधा का अभाव, जिसकी वजह से विमानन कंपनियों को अपने विमानों, इंजनों और पुर्जों को विदेशों में भेजना पड़ता है, जिसमें समय और लागत दोनों खर्च होता है।
दूसरे, विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित करने की जरूरत, जिसमें भारत पीछे रहा है। आखिर में, अधिक मांग के बावजूद विमानों और इंजनों की कमी, जो उद्योग के लिए खासी चुनौती पेश कर रही है।
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फिलहाल प्रैट ऐंड व्हिटनी द्वारा इंजनों की आपूर्ति में देरी की वजह से गो फर्स्ट के करीब 22 विमान और इंडिगो के 34 विमान खड़े हुए हैं। केवल इंजन विनिर्माता ही नहीं, बल्कि बोइंग और एयरबस को भी आपूर्ति की कमी वगैरह की वजह से विमान डिलिवरी के अपने निर्धारित कार्यक्रम को बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।
बंसल ने कहा कि हम प्रमुख ओईएम (विमान और इंजन निर्माण करने वाले मूल उपकरण निर्माता) को हमारी वृद्धि का समर्थन करने के लिए कहते रहे हैं।