facebookmetapixel
Gold-Silver Outlook: सोना और चांदी ने 2025 में तोड़े सारे रिकॉर्ड, 2026 में आ सकती है और उछालYear Ender: 2025 में आईपीओ और SME फंडिंग ने तोड़े रिकॉर्ड, 103 कंपनियों ने जुटाए ₹1.75 लाख करोड़; QIP रहा नरम2025 में डेट म्युचुअल फंड्स की चुनिंदा कैटेगरी की मजबूत कमाई, मीडियम ड्यूरेशन फंड्स रहे सबसे आगेYear Ender 2025: सोने-चांदी में चमक मगर शेयर बाजार ने किया निराश, अब निवेशकों की नजर 2026 पर2025 में भारत आए कम विदेशी पर्यटक, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया वीजा-मुक्त नीतियों से आगे निकलेकहीं 2026 में अल-नीनो बिगाड़ न दे मॉनसून का मिजाज? खेती और आर्थिक वृद्धि पर असर की आशंकानए साल की पूर्व संध्या पर डिलिवरी कंपनियों ने बढ़ाए इंसेंटिव, गिग वर्कर्स की हड़ताल से बढ़ी हलचलबिज़नेस स्टैंडर्ड सीईओ सर्वेक्षण: कॉरपोरेट जगत को नए साल में दमदार वृद्धि की उम्मीद, भू-राजनीतिक जोखिम की चिंताआरबीआई की चेतावनी: वैश्विक बाजारों के झटकों से अल्पकालिक जोखिम, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूतसरकार ने वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी, ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर रोक

श्रमिकों के लिए सुविधाओं की सौगात

Last Updated- December 15, 2022 | 7:57 PM IST

श्रमिकों की अत्यंत कमी का सामना करने वाली भारतीय कंपनियां अपने संयंत्र/निर्माण स्थलों में मेहनतकश श्रमिकों को बीमा सुरक्षा दे रही हैं तथा आवास और स्वास्थ्य सुविधाओं का इंतजाम कर रही हैं ताकि ये श्रमिक कोरोना महामारी के प्रकोप में सामाजिक दूरी के नियम का पालन कर सकें। उत्पादन फिर से पटरी पर लाने की खातिर कंपनियों के लिए इन श्रमिकों की वापसी महत्त्वपूर्ण है। यह उत्पादन अप्रैल और मई में रिकॉर्ड स्तर तक गिर चुका है।
रियल एस्टेट, उपभोक्ता उत्पाद, वाहन, निर्माण और कपड़ा क्षेत्र के मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) ने कहा कि उन्हें अपने श्रमिकों से उम्मीद है कि वे अगले 45 से 60 दिनों में दोबारा काम पर आ जाएंगे जिससे उन्हें जुलाई से उत्पादन में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
देश की सबसे बड़ी यात्री कार विनिर्माता मारुति सुजूकी इंडिया के अध्यक्ष आरसी भार्गव ने कहा कि हमारे विक्रेताओं को जिन सबसे बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा है, श्रम उन्हीं  में से एक है और इसके परिणामस्वरूप हमारी आपूर्ति शृंखला प्रभावित हो रही है। अगर हमारे आपूर्तिकर्ता उत्पादन नहीं करते हैं, तो हम भी उत्पादन नहीं कर सकते हैं क्योंकि कार तैयार करने के लिए प्रत्येक घटक की जरूरत होती है।
एलऐंडटी के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक एसएन सुब्रमण्यन ने कहा कि मई में उनके श्रमिकों की संख्या घटकर 70,000 रह गई, क्योंकि श्रमिक घर जाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि पिछले करीब 15 दिनों में हम श्रमिकों की संख्या को फिर से 1,20,000 के स्तर पर वापस ले आए और हम हर रोज इस संख्या में 2,500-3,000 श्रमिक शामिल कर रहे हैं। कंपनी ने संस्थान के लोगों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को रांची, हावड़ा, दरभंगा सहित कई स्थानों पर तैनात किया है ताकि श्रमिकों को प्रोत्साहन देते हुए वापस लाया जा सके। उन्होंने कहा कि इनमें से कई लोग जानते हैं कि एलऐंडटी श्रमिकों के लिए अच्छा परिसर, परिवहन और अन्य सुविधाएं प्रदान करती है। भय का मनोविज्ञान कुछ बाधा डाल रहा है और हमें इस पर काबू पाने की जरूरत है।
सुरक्षा के तौर पर कंपनी क्या उपलब्ध करा रही है, यह दिखाने के लिए कंपनी ने वीडियो और ऐप बनाए हैं तथा वह अन्य उपाय भी कर रही है। सुब्रमण्यन को उम्मीद है कि अगले 35 से 40 दिनों में उनके श्रमिकों की संख्या दोबारा 2.3 लाख हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें दोहरी पारी का प्रयोग करना होगा और यह देखना होगा कि कम लोगों के साथ अधिक काम कैसे किया जाए।
डाबर, पारले प्रोडक्ट्स और पेप्सिको जैसी कुछ उपभोक्ता कंपनियों ने प्रवासी श्रमिकों की अनुपस्थिति में कुछ संयंत्रों में स्थानीय लोगों की ओर रुख किया है। उदाहरण के लिए डाबर के पास अपने 11 विनिर्माण स्थलों पर श्रमिकों को लाने-ले जाने के लिए परिवहन सेवा है। कुछ श्रमिकों को विनिर्माण संयंत्रों के पास आवास उपलब्ध कराया गया है। डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा का कहना है कि कंपनी सभी कर्मचारियों को चिकित्सा सुरक्षा भी प्रदान कर रही है ताकि वे स्वास्थ्य चिंता के संबंध में सुरक्षित महसूस कर सकें।
नेस्ले से लेकर मैरिको और हिंदुस्तान यूनिलीवर तक अधिकांश कंपनियों ने भी पिछले दो महीनों के दौरान श्रमिकों के स्वास्थ्य लाभ के दायरे में विस्तार किया है। पारले प्रोडक्ट्स जैसी कंपनियों को जब भी श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने स्थानीय श्रमिकों के इस्तेमाल का सहारा लिया। पारले प्रोडक्ट्स के श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा कि 20 मई के बाद से हालात सुधरने लगे हैं। सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के कारण श्रमिक अपने आप वापस आ रहे हैं और इसलिए हम वास्तव में किसी दिक्कत का सामना नहीं कर रहे हैं।
रियल एस्टेट कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारी अपने श्रमिकों को वापस कार्य स्थलों पर लाने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं। ओबेरॉय रियल्टी के चेयरमैन विकास ओबेरॉय ने कहा कि हमारे श्रमिकों के पास पहले से ही रहने के लिए अलग सुविधाएं हैं और हम रियल एस्टेट उद्योग की कुछ सर्वश्रेष्ठ परिपाटी का पालन करते हैं। आगे चलकर हमारा इरादा इन श्रमिकों के रहन-सहन में काफी सुधार लाने का है।
सनटेक रियल्टी के मुख्य प्रबंध निदेशक कमल खेतान ने कहा कि कंपनी आम तौर पर अपने संयंत्र स्थलों पर करीब 2,000 श्रमिक नियुक्त करती है और इनमें से लगभग 800 श्रमिक मुंबई से घर रवाना हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि हमारे श्रमिक ठेकेदार उन श्रमिकों से बात कर रहे हैं जो घर के लिए रवाना हो चुके हैं और हमें उम्मीद है कि वे 30 से 45 दिनों के भीतर वापस आ जाएंगे।
कपड़ा क्षेत्र के मुख्य कार्याधिकारियों ने कहा कि कोविड के बाद वे अपने श्रमिकों का तेजी से स्थानीयकरण कर रहे हैं। देश केसबसे बड़े परिधान निर्यातक गोकलदास एक्सपोट्र्स के प्रबंध निदेशक शिवरामकृष्णन गणपति ने कहा कि कंपनी प्रवासी श्रमिकों पर निर्भर नहीं है। प्रवासी श्रमिकों को रहने के लिए आवास सुविधाओं की आवश्यकता होती है और जब वे किसी समारोह के लिए अपने मूल शहर जाते हैं, तो एक महीना वापस ही नहीं आते हैं। हमने ऐसे लोगों पर ध्यान केंद्रित किया है जो फैक्टरी के आसपास रहते हैं।

First Published - June 9, 2020 | 10:51 PM IST

संबंधित पोस्ट