कंपनियां

फॉक्सकॉन इंडिया का भारत में जबरदस्त विस्तार, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में नई क्रांति

फॉक्सकॉन इंडिया ने भारत में अपनी संपत्ति बढ़ाई है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में मजबूती आई है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका और बढ़ी है।

Published by
सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- June 17, 2025 | 10:38 PM IST

ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण सेवा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी फॉक्सकॉन (होन हाई टेक्नोलजी ग्रुप) ने भारत में अपनी सबसे तेज वैश्विक वृद्धि दर्ज की है। कंपनी की नॉन-करंट वैश्विक परिसंपत्तियां (जिन्हें एक वर्ष में आसानी से नकदी में तब्दील करना मुश्किल रहता है) में देश की हिस्सेदारी केवल तीन वर्षों के दौरान ही चार गुना बढ़ गई है और पिछले दो वर्षों में दोगुनी से अधिक हो गई है। अलबत्ता इस दौरान चीन में इसकी परिसंपत्ति हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम हुई है।

एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के वैश्विक शोध के अनुसार होन हाई की वैश्विक परिसंपत्तियों में भारत की हिस्सेदारी साल 2022 में केवल 2.6 प्रतिशत थी। यह वह साल था जब मोबाइल उपकरणों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना शुरू की गई थी। तब से यह आंकड़ा तेजी से बढ़ते हुए साल 2024 में 10.8 प्रतिशत हो गया है। केवल एक साल में ही यह हिस्सेदारी दोगुनी से अधिक हो गई यानी साल 2023 के 4.5 प्रतिशत से बढ़कर साल 2024 में 10.8 प्रतिशत।

साल 2022 में होन हाई के मामले में भारत शीर्ष पांच देशों में भी नहीं था लेकिन वह अब वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है और केवल चीन और वियतनाम से ही पीछे है। वियतनाम के साथ अंतर भी कम हो रहा है। परिसंपत्ति हिस्सेदारी के लिहाज से उसने ताइवान, अमेरिका और मेक्सिको को पीछे छोड़ दिया है।

इसके विपरीत चीन में होन हाई की नॉन-करंट परिसंपत्ति हिस्सेदारी साल 2022 के 56.8 प्रतिशत से घटकर साल 2024 में 49.4 प्रतिशत रह गई है। नॉन-करंट

परिसंत्तियों को स्थायी या दीर्घावधि परिसंपत्तियों के रूप में भी जाना जाता है। ये वे संसाधन होते हैं, जिनका स्वामित्व कंपनी के पास होता है और उसे इनका उपयोग एक वर्ष से अधिक समय में करने की उम्मीद होती है। इन्हें आसानी से नकदी में नहीं बदला जा सकता है और ये दीर्घावधि निवेश होती हैं। भारत में होन हाई के विस्तार ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

 

First Published : June 17, 2025 | 10:21 PM IST