पिछले सप्ताह यूनिलीवर के मुख्य वित्तीय अधिकारी फर्नांडो फर्नांडिस ने बर्न्सटीन एनुअल पैन यूरोपियन स्ट्रैटजिक डिसीजंस सम्मेलन में कहा कि यदि भारत में अपनी हैसियत बनाए रखने के लिए वह करोड़ों डॉलर लगाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा इस वजह से हो सकता है कि कंपनी का राजस्व अन्य FMCG कंपनियों की तुलना में धीमी गति से बढ़ रहा है। इसके अलावा कंपनी को खासकर साबुन श्रेणी में असंगठित क्षेत्र की बढ़ती बाजार भागीदारी की वजह से प्रतिस्पर्धी दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि यूनिलीवर की भारतीय इकाई हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) ने भी प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने के लिए कीमतों में कटौती की, लेकिन एचयूएल के प्रबंधन ने वर्ष की पहली छमाही (वित्त वर्ष 25) मूल्य वृद्धि की भी बात स्वीकार की। ब्रोकरेज फर्म दौलत कैपिटल के उपाध्यक्ष सचिन बोबाडे ने कहा, ‘एचयूएल सोप सेगमेंट में अपनी पकड़ गंवा रही है, जिससे उसे असंगठित क्षेत्र की कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए कीमत कटौती का सहारा लेना पड़ रहा है।’
एक अन्य विश्लेषक ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि छोटी एफएमसीजी कंपनियां एचयूएल के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, ‘कंपनी की पहले से पूरे भारत में वितरण पहुंच है, जिससे वितरण वृद्धि से राजस्व बढ़ाना चुनौतीपूर्ण है।’
उनका कहना है कि धीरे-धीरे कंपनी को प्रीमियमाइजेशन पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जो वह कर रही है। यह एक क्रमिक प्रक्रिया है, और इसमें कुछ समय लगेगा क्योंकि इससे उपभोक्ता को अवगत भी करना है और ऊंचे मूल्य पर पर्याप्त गति प्राप्त करने के लिए बाजार में विकास की आवश्यकता है।
एचयूएल में मौजूदा प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी रोहित जावा ने खासकर ब्यूटी ऐंड पर्सनल केयर में वृद्धि को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित किया है। फर्नांडिज ने कहा कि भारत में कॉन्फ्रेंस ई-कॉमर्स आधुनिक व्यापार, पारंपरिक कारोबार में देखी गई वृद्धि की तुलना में लगभग तीन गुना बढ़ रहा है। इसलिए ई-कॉमर्स की वृद्धि छोटे आधार से महत्वपूर्ण है।