FMCG की मांग अप्रैल में घट गई, जिसकी वजह किराना स्टोर में कम स्टॉकिंग थी। यह जानकारी बिजोम के आंकड़ों से मिली। कीमत के लिहाज से FMCG की बिक्री अप्रैल में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 8.4 फीसदी घटी, वहीं मासिक आधार पर यह 17 फीसदी कम रही। अप्रैल में शहरी इलाकों में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले मांग में 10.2 फीसदी की गिरावट रही, वहीं ग्रामीण इलाकों में मांग 7.6 फीसदी घटी।
होमकेयर एकमात्र श्रेणी रही, जहां सालाना आधार पर अप्रैल में 11.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई। हालांकि क्रमिक आधार पर यह 20.9 फीसदी कम रही। बेवरिजेज में अप्रैल के दौरान पिछले साल के मुकाबले सबसे ज्यादा 26.2 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।
बिजोम के प्रमुख (ग्रोथ ऐंड इनसाइट्स) अक्षय डिसूजा ने कहा, FMCG की बिक्री शहरी व ग्रामीण दोनों इलाकों में प्रभावित हुई लेकिन ज्यादा असर बड़े शहरों व टियर-3 शहरों में देखने को मिला। उन्होंने कहा कि अप्रैल में किराना स्टोर में कम स्टॉकिंग की वजह यह थी कि मार्च में वहां ज्यादा स्टॉकिंग हो गई थी। इसकी वजह वित्त वर्ष के आखिर में स्टॉक की डंपिंग थी।
डिसूजा ने कहा, पर्सनल केयर और पैकेज्ड फूड्स में भी अप्रैल के दौरान तेज गिरावट देखने को मिली। उन्होंने कहा, हम बेवरिजेज की बिक्री के लिहाज से पीक सीजन मे हैं और अप्रैल में बेवरिजेज की बिक्री में खासी गिरावट देखने को मिली है।
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इस श्रेणी में प्रतिस्पर्धा गहरा रही है, ऐसे में कीमत को लेकर गुंजाइश सीमित है। साथ ही देश भर में बारिश के चलते तापमान घटा है, ऐसे में हम पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले उपभोग में खासी कमी देख रहे हैं, जो बिक्री पर असर डाल रहा है।
अपने तिमाही नतीजे में ज्यादातर FMCG कंपनियों ने पाया कि ग्रामीण इलाकों में मांग में तिमाही के दौरान सुधार दर्ज हुई जबकि पहले यहां मांग पर दबाव था। पारले प्रॉडक्ट्स के वरिष्ठ अधिकारी मयंक शाह ने कहा कि मांग स्थिर बनी हुई है और वॉल्यूम में 2 से 3 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि वैल्यू में 7 से 8 फीसदी का इजाफा हुआ है। शाह ने कहा, अप्रैल में पारले के उत्पादों की मांग पर असर नहीं पड़ा।
केविनकेयर के मुख्य कार्याधिकारी वेंकटेश विजयराघवन ने कहा, अप्रैल के महीने में मांग के लिहाज से सामान्य तौर पर समस्या नहीं होती लेकिन इस बार बेवरिजेज की मांग पर असमय बारिश से असर पड़ा है, खास तौर से मांग के पीक सीजन में। उन्होंने कहा कि उद्योग ग्रामीण इलाकों में मांग में सुधार देख रहा है। पर्सनल केयर श्रेणी मांग से जुड़ा किसी मसले का सामना नहीं कर रहा है।