facebookmetapixel
Explainer: कौन हैं सनाए ताकाइची, जो जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने की राह पर हैहर साल मिलेंगे ₹15,000! इस राज्य सरकार का ऑटो रिक्शा, कैब और मैक्सी कैब ड्राइवरों का बड़ा तोहाफाIPO Calendar: मुख्य बोर्ड और SME दोनों में निवेशकों को मिलेगा मौका, जानें लिस्टिंग और आईपीओ का पूरा शेड्यूलपोस्ट ऑफिस की यह स्कीम 5 साल में बना देगी आपको लखपति… बस हर महीने करें 25 हजार का निवेशसरकार ने शुरू की ‘आपकी पूंजी, आपका अधिकार’ मुहिम, ₹1.84 लाख करोड़ उनके हकदारों तक पहुंचेगाWeWork India IPO: अप्लाई करें या इंतजार करें, देखें पूरी डिटेल्स और फायदे-नुकसानक्या शेयर बाजार में निवेश अब जोखिम भरा है? ‘रिच डैड पुअर डैड’ के लेखक ने निवेशकों को क्यों चेतायाCorporate Actions: निवेशकों की बल्ले-बल्ले! अगले हफ्ते मार्केट में स्प्लिट-बोनस-डिविडेंड का तगड़ा कॉम्बिनेशन‘मेक इन इंडिया’ की ओर झुका यूरोप, 6 अक्टूबर से शुरू होगी भारत-ईयू एफटीए वार्ताStock Split: अगले हफ्ते तीन कंपनियां करेंगी स्टॉक स्प्लिट, निवेशकों के लिए सस्ते होंगे शेयर

IT sector: अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी से आईटी पर सीधा असर नहीं, मांग में सुधार धीमा हो सकता है

विशेषज्ञ बोले – आईटी पर असर परोक्ष होगा, अमेरिका में टैलेंट की कमी से भर्ती चुनौती बनी रहेगी

Last Updated- August 08, 2025 | 9:58 AM IST
IT sector

भारतीय निर्यात पर शुल्क बढ़ाकर कुल 50 प्रतिशत करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कदम से भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र पर सीधा असर नहीं पड़ेगा। मगर उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि शुल्क बढ़ने के बाद कमजोर वैश्विक आर्थिक हालात के बीच मांग सुधरने में और देरी हो सकती है।

विश्लेषकों ने वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के विस्तार में सुस्ती आने की चेतावनी भी दी है। जीसीसी भारत के तकनीकी ढांचे के विकास और निवेश में खासी अहमियत रखता है। वाहन, विनिर्माण और खुदरा जैसे क्षेत्र पहले ही शुल्कों की मार झेल रहे हैं। आईटी कंपनियां पिछले महीने इस बात बात का जिक्र भी कर चुकी हैं। उस समय उन्होंने कहा था कि अप्रैल की तुलना में वैश्विक माहौल और खराब नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि अनिश्चितता बढ़ने की आशंका जरूर थी मगर अमेरिका और अन्य देशों के बीच हुए व्यापार सौदों से उम्मीद जगी थी कि भारत के साथ भी मतभेद जल्द दूर हो जाएंगे। मगर कोई समझौता नहीं होने से दबाव और बढ़ गया है। नैसकॉम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, ‘आईटी क्षेत्र पर शुल्कों का काई सीधा असर नहीं होगा। मगर परोक्ष असर सभी देशों पर होगा और भारत पर भी नजर आएगा। अमेरिकी ग्राहकों पर लागत का बोझ बढ़ने के साथ ही आईटी क्षेत्र में मांग सुधरने की गति धीमी होती जाएगी।’

जब उनसे पूछा गया कि इन हालात में क्या आईटी कंपनियां अमेरिका में वहीं के लोगों की ज्यादा भर्ती करेंगी तो अधिकारी ने कहा कि यह सिलसिला तो पिछले सात-आठ वर्षों से चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘कंपनियां अधिक लोगों को काम पर रखना चाहेंगी लेकिन प्रतिभा मिल ही कहां रही है? अमेरिका में खास तौर पर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई), डेटा और साइबर सुरक्षा से जुड़ी प्रतिभाएं ही नहीं हैं। इसीलिए ये कंपनियां यहां अधिक लोगों को काम पर रखने के लिए विवश होती हैं।’

पारीख जैन कंसल्टिंग एवं ईआरआईआईटी के संस्थापक पारीख जैन ने कहा, ‘मुझे यह भी लगता है कि लगातार बढ़ रहे बड़े सौदों पर भी इसका असर हो सकता है। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि उद्योग का कारोबार सुधरने में देर हो जाएगी। इसके अलावा अमेरिका के एक नए कार्यक्रम के तहत कुछ पर्यटकों और बिजनेस वीजा आवेदकों को 5,000 से 15,000 डॉलर के बॉन्ड भरने होंगे।

First Published - August 8, 2025 | 9:44 AM IST

संबंधित पोस्ट