भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि ऑनलाइन गेमिंग, अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ और क्रिप्टो ट्रेडिंग के कारोबार को कानून की भावना के अनुरूप बनाया जा सकता है, लेकिन वे सामाजिक मूल्य के मामले में बहुत कम योगदान देते हैं। उन्होंने कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पर कहा कि यह अलग गतिविधि नहीं है बल्कि यह भावना है कि कैसे कारोबार किया जाता है।
उन्होंने कहा कि भारत को अपने हितों के लिए पर्यावरण, समाज और शासन (ईएसजी) की बेहतरी के लिए कदम उठाने की जरूरत है, हालांकि जब यह अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और मंचों की तरफ से थोपा जाता है तो उस पर प्रतिरोध आना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा, ‘जब हम देखते हैं कि वैश्विक नेतागण और संगठन के प्रमुख ईएसजी या जलवायु परिवर्तन के सम्मेलन में शामिल होने के लिए कुछ हजार किलोमीटर अपने प्राइवेट जेट से जाते हैं तो वे विश्वसनीयता के पैमाने खरा नहीं उतरते हैं।’
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भारतीय कॉरपोरेट मामलों के संस्थान (आईआईसीए) में विकसित भारत के लिए बेहतर होते वातावरण, समाज, शासन पर आयोजित संगोष्ठी में कहा कि कंपनियों से यह पूछा जाना चाहिए कि ईसीजी उनके लिए अलग गतिविधि थी या उनके कारोबार की भावना में समाहित है।
नागेश्वरन ने जोर देकर कहा कि पश्चिम में उत्तरदायित्व वाले कारोबार की जिस तरह व्यख्या की जाती है, वह भारतीय संदर्भ में खरी नहीं उतरती है। भारत उत्सर्जन पर अंकुश की जगह जलवायु अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित करे। इसका कारण यह है कि भारत उत्सर्जन में सबसे अधिक योगदान देने वालों में नहीं है।
सीईए ने विकासशील देशों पर थोपे गए मानदंड जैसे श्रम, वातावरण, लिंग पर कहा कि जब विकसित देशों ने राष्ट्रीय और सामाजिक स्तर पर आय का एक मानदंड हासिल कर लिया तब ये मानदंड लागू किए गए। इसे विकसित देशों को याद रखना चाहिए। सीईए ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के अपने पांव पर खड़े होने से पहले इन मानदंडों को थोपने से वे अनुत्पादक साबित हो सकती हैं। सीईए ने भारत में बाहर से प्लास्टिक मंगाए जाने का उदाहरण देते हुए चेतावनी दी कि इन वस्तुओं को थोक में मंगाए जाने के मामले में सावधानी बरते जाने की जरूरत थी।
ढांचा मुहैया करवाना चाहती है सरकार
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव इंद्रदीप सिंह धारीवाल ने आईआईसीए के कार्यक्रम में बताया कि सरकार का ध्येय विनियमन लाना नहीं है बल्कि कंपनियों को पर्यावरण, समाज और शासन पर सिद्धांतों की मार्गदर्शिका मुहैया करवाना है। उन्होंने बताया, ‘हम ढांचा मुहैया करवाते हैं और इसे बेहतर बनाने का काम कंपनियों पर छोड़ दिया जाता है। यह विश्वास पर आधारित संबंध है।’