facebookmetapixel
बाबा रामदेव की FMCG कंपनी दे रही है 2 फ्री शेयर! रिकॉर्ड डेट और पूरी डिटेल यहां देखेंभारत-अमेरिका फिर से व्यापार वार्ता शुरू करने को तैयार, मोदी और ट्रंप की बातचीत जल्दGold-Silver Price Today: रिकॉर्ड हाई के बाद सोने के दाम में गिरावट, चांदी चमकी; जानें आज के ताजा भावApple ‘Awe dropping’ Event: iPhone 17, iPhone Air और Pro Max के साथ नए Watch और AirPods हुए लॉन्चBSE 500 IT कंपनी दे रही है अब तक का सबसे बड़ा डिविडेंड- जान लें रिकॉर्ड डेटVice President Election Result: 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में चुने गए सीपी राधाकृष्णन, बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिलेनेपाल में सोशल मीडिया बैन से भड़का युवा आंदोलन, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफापंजाब-हिमाचल बाढ़ त्रासदी: पीएम मोदी ने किया 3,100 करोड़ रुपये की मदद का ऐलाननेपाल में हिंसक प्रदर्शनों के बीच भारत ने नागरिकों को यात्रा से रोका, काठमांडू की दर्जनों उड़ानें रद्दUjjivan SFB का शेयर 7.4% बढ़ा, वित्त वर्ष 2030 के लिए मजबूत रणनीति

तीसरी तिमाही में कम होगी कंपनियों की कमाई

Last Updated- December 09, 2022 | 8:51 PM IST

दिसंबर में खत्म हुई तीसरी तिमाही में बंबई शेयर बाजार के संवेदी सूचकांक यानी सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों की अर्निंग्स यानी कमाई में दो से छह फीसदी की गिरावट आ सकती है और राजस्व में 4 से 11 फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा सकती है।


यह आकलन है बड़े ब्रोकिंग हाउसों के कार्पोरेट एनेलिस्टों का। उनके मुताबिक सेंसेक्स कंपनियों की बिक्री में पहली तिमाही में 28.2 फीसदी का इजाफा रहा था ।

जबकि दूसरी तिमाही में 26.1 फीसदी की बढ़त देखी गई थी। मुनाफे की बात करें तो पहली और दूसरी तिमाही में इन कंपनियों का मुनाफा चार फीसदा की दर से बढ़ा था।

इसका सीधा सा मतलब है कि पहले की दो तिमाहियों की तुलना में तीसरी तिमाही में इन कंपनियों की प्रदर्शन में मामूली गिरावट आ सकती है।

हालांकि तीसरी तिमाही का प्रदर्शन 2007-08 की चौथी तिमाही के नतीजों से बेहतर रहेगा जब इन कंपनियों के शुध्द मुनाफे की ग्रोथ उससे पहले की तिमाहियों के 20 फीसदी से घटकर 12.5 फीसदी पर आ गई थी।

ज्यादातर कार्पोरेट विश्लेषकों का मानना है कि सेंसेक्स की कंपनियों में एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, स्टेट बैंक, बीएचईएल और इन्फोसिस अपने शुध्द मुनाफे में 25 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ देख सकती हैं ।

जबकि डीएलएफ, टाटा मोटर्स, मारुति, ग्रासिम, हिंडाल्को, आईसीआईसीआई बैंक, एम ऐंड एम और रैनबैक्सी के शुध्द मुनाफे में गिरावट आ सकती है।

रिलायंस इंड, रिलायंस कम्यु., और विप्रो के शुध्द मुनाफे की ग्रोथ इकाई अंकों में रह सकती है। जेपी एसोसिएट्स, रिलायंस इंफ्रा., भारती एयरटेल, एचडीएफसी बैंक, इंफोसिस, स्टेट बैंक, टाटा पावर और रिलायंस कम्यु. की शुध्द बिक्री में बढ़त देखी जा सकती है। इन कंपनियों की शुध्द बिक्री में 25 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ हो सकती है।

हिंडाल्को, डीएलएफ, मारुति, एम ऐंड एम, स्टरलाइट और टाटा मोटर्स की बिक्री में गिरावट आ सकती है जबकि रैनबैक्सी, एसीसी, आईसीआईसीआई बैंक, टाटा स्टील और ओएनजीसी की बिक्री में इकाई अंक की बढ़त देखी जा सकती है।

विश्लेषकों के मुताबिक बैंकों में एचडीएफसी बैंक और स्टेट बैंक तीसरी तिमाही में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, इस दौरान इनकी शुध्द ब्याज आय में 30 से 35 फीसदी की ग्रोथ देखी जा सकती है और शुध्द मुनाफे में 35 से 45 फीसदी की ग्रोथ रह सकती है।

आईसीआईसीआई बैंक की शुध्द ब्याज आय में इकाई अंक की ग्रोथ रह सकती है जबकि इसके शुध्द मुनाफे में मार्क टु मार्केट घाटे की वजह से 19 फीसदी की गिरावट आ सकती है।

ऑटो सेक्टर के एनेलिस्टों के मुताबिक सभी तीन सेंसेक्स कंपनियों एम ऐंड एम, मारुति और टाटा मोटर्स के शुध्द मुनाफे में शुध्द बिक्री गिरने और इन्वेंटरी के खर्चों की वजह से 50 फीसदी तक की गिरावट रह सकती है।

हिंद यूनीलीवर को कीमतों में तेजी का फायदा मिल सकता है जबकि आईटीसी को रुपए की कीमत का लाभ मिल सकता है। सीमेंट एनालिस्टों के मुताबिक ग्रासिम और एसीसी में इनपुट लागत बढ़ने और वॉल्यूम घटने का असर दिख सकता है। रुपए की गिरावट आईटी कंपनियों के लिए बेहतर साबित हुई है क्योंकि उनका आधा राजस्व निर्यात से ही आता है।

रुपए की कीमत में एक फीसदी की गिरावट से इन कंपनियों के परिचालन मार्जिन में 0.3-0.4 फीसदी का सकारात्मक असर पड़ता है। चूंकि इन कंपनियों को अच्छा फॉरेक्स कवर था।

लिहाजा, इन्हें एमटीएम घाटे के लिए प्रावधान करना पड़ा। पेट्रोकेमिकल्स की कीमतें बढ़ने और रिफाइनिंग मार्जिन घटने से रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुनाफेमें कमी देखी जा सकती है।

मोतीलाल ओसवाल के रिसर्च एनेलिस्टों के मुताबिक बैंकिंग और फाइनेंस, सॉफ्टवेयर सेवाएं, कैपिटल गुड्स और दूरसंचार सेक्टरों में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। ऑटो, तेल, रियल एस्टेट और सीमेंट सेक्टरों में बिक्री कम होने से कमाई में दबाव बने रहने के आसार हैं।

एनेलिस्टों को उम्मीद है कि सेंसेक्स की 30 में से 14 कंपनियों के शेयर सकारात्मक आमदनी की बढ़ोतरी दिखा सकते हैं और इनमें स्टेट बैंक, भारती  और इन्फोसिस की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रहने के आसार हैं। इन तीन शेयरों की हिस्सेदारी सेंसेक्स कंपनियों की कुल कमाई का अस्सी फीसदी रहेगी।

मेरिल लिंच के एनेलिस्ट के मुताबिक बाजार पिछली तिमाही यानी 30 दिसंबर को खत्म हुई तिमाही में खराब नतीजों की ही संभावना देख रहा है और सेंसेक्स कंपनियों के परिचालन मुनाफे में गिरावट देखी जा सकती है।

उनके मुताबिक 30 में से 9 कंपनियों के मुनाफे में गिरावट रहेगी, विदेसी मुद्रा घाटे की वजह से कमाई प्रभावित रहेगी।

बिक्री में गिरावट आने और मार्जिन पर दबाव रहने से ऑटो, सीमेंट और फार्मा कंपनियों के मुनाफे मं गिरावट आ सकती है। एफएमसीजी और सॉफ्टवेयर के अलावा बैंकों में स्टेट बैंक और एचडीएफसी का योगदान सबसे ज्यादा रहना चाहिए।

एंजिल ब्रोकिंग को उम्मीद है कि बैंकिंग, टेलिकॉम, आईटी और एफएमसीजी कंपनियों का शुध्द मुनाफा सबसे ज्यादा बढ़ेगा जबकि शुध्द बिक्री में बैंक और टेलिकॉम कंपनियां आगे रहेंगी।

सेक्टर विश्लेषण

कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट और रिफाइनरी उत्पादों की कीमतों मे कमी से तेल और गैस कंपनियों की बिक्री तीसरी तिमाही में गिर सकती है।

हालांकि रिलायंस की बिक्री 12 से 15 फीसदी की दर से बढने के आसार हैं जबकि बड़ी तेल मार्केटिंग कंपनियों को 15 से 20 फीसदी की गिरावट देखनी पड़ सकती है। नकदी के संकट और कारोबार गिरने से ऑटो कंपनियों की बिक्री में 15 से 20 फीसदी की गिरावट आ सकती है।

दूरसंचार कंपनियों के राजस्व में 20-36 फीसदी की बढ़त देखी जा सकती है। इंफ्रा. कंपनियों की बिक्री में मजबूत ऑर्डर बुक के नाते ग्रोथ बनी रहेगी।

परिचालन मार्जिन

सबसे ज्यादा मार्जिन रियल एस्टेट कंपनियों का (-14.6 फीसदी) गिरेगा, इसके बाद मेटल्स (-11 फीसदी) और सीमेंट (-7.8 फीसदी) रहेंगे।

रियल एस्टेट के कारोबार में गिरावट रहेगी, जबकि मेटल्स को भी कीमतें घटने और इनपुट लागत बढ़ने का प्रभाव झेलना होगा।आईटी और दूरसंचार ज्यादा बढ़त वाले दो सेक्टर होंगे। बैंकिंग के ऑपरेटिंग मार्जिन  मजबूत रहेंगे।

सेक्टरों पर नजर


एफएमसीजी

तीसरी तिमाही में उम्मीद है कि एफएमसीजी कंपनियों का टॉपलाइन ग्रोथ वॉल्यूम बढ़ने और उत्पादों की कीमतें बढ़ाई जाने से मजबूत रहेंगी।

एफएमजीसी यूनिवर्स जिसमें पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स, फूड प्रॉडक्ट्स से लेकर सिगरेट तक शामिल हैं उम्मीद है कि इनकी बिक्री में 20 फीसदी तक की ग्रोथ होगी और मुनाफे में 8-15 फीसदी की ग्रोथ रहेगी।

जिन कंपनियों की बिक्री में तेजी रहेगी उनमें हिंदुस्तान यूनीलीवर, मैरिको, ब्रिटानिया, नेस्ले और आईटीसी शामिल हैं और जिनके मुनाफे में बढ़त रहेगी, उनमें कोलगेट, गोदरेज कंज्यूमर, हिंदुस्तान यूनीलीवर और नेस्ले शामिल हैं।

कमोडिटी की कीमतों में गिरावट का फायदा तीसरी तिमाही में आंशिक ही रहेगा क्योंकि एचयूएल और गोदरेज जैसे बड़ी कंपनियों ने अपना स्टॉक ऊंची कीमतों पर पहले ही बना लिया है। एफएमसीजी एनेलिस्टों के मुताबिक कच्चे तेल से जुड़ी कीमतों का फायदा चौथी तिमाही से दिखना शुरू होगा।

कच्चे तेल से जुड़ी पाम ऑयल और एचडीपीई जैसी कमोडिटी कच्चे तेल के साथ ही गिरी हैं जबकि लैब जैसी कमोडिटी भी एक अंतराल के बाद गिरेंगी। एग्रो कमोडिटी की कीमतें मजबूत रही हैं। एग्रो उत्पादों का इस्तेमाल करने वालों के मार्जिन पर दबाव फिलहाल बना रहेगा क्योंकि कीमतों में अभी गिरावट नहीं आनी है।

चीनी, गेहूं, दूध और खोपरा जैसी कमोडिटी की कीमतें मजबूत रही हैं। इनके उत्पादन में कमी से भी कीमतें बढ़ी हैं। गेहूं मजबूत हुआ है क्योकि घरेलू बाजार में इसकी कीमतें सपोर्ट प्राइस से जुड़ी होती हैं और वैश्विक कीमतों का इस पर असर नहीं होता।

एशियन पेंट्स की शुध्द बिक्री में 20 फीसदी के इजाफे की उम्मीद है जबकि इसके शुध्द मुनाफे में भी ऑपरेटिंग मार्जिन 0.8-1.0 फीसदी कम होने से 10 फीसदी के इजाफे की उम्मीद है। ब्रिटानिया की शुध्द बिक्री में भी 22 फीसदी के इजाफे की उम्मीद है जबकि शुध्द मुनाफे में केवल दस फीसदी का इजाफा देखा जा सकता है।

एनेलिस्टों को उम्मीद है कि लागत पर दबाव बना रहेगा। कोलगेट की बिक्री और मुनाफे में 15 से 16 फीसदी का इजाफा हो सकता है। कंपनी को अपने मार्जिन में आधा फीसदी के इजाफे के उम्मीद है। गोदरेज कंज्यूमर की शुध्द बिक्री में 20 फीसदी  और मुनाफे में 10-16 फीसदी के इजाफे की उम्मीद है।

फार्मास्यूटिकल्स

तीसरी तिमाही में फार्मा कंपनियों का रेवन्यू मिडकैप जेनेरिक और सीआरएएमएस कंपनियों के अच्छे प्रदर्शन से मजबूत होकर 20 फीसदी तक बढ़ सकता है। हालांकि फार्मा कंपनियों की ग्रोथ घरेलू बाजारों की मंदी के मद्देनजर पिछली तिमाहियों से कमजोर रहने के आसार हैं।

मल्टीनेशनल फार्मा कंपनियों के एक्सपोर्ट में गिरावट और घरेलू बाजार में बिक्री कम होने से इनकी ग्रोथ इकाई अंकों में ही रहने के आसार हैं। विदेशी मुद्रा के कर्ज एफसीसीबी वाली कंपनियों को रुपए के डेप्रिसिएशन की वजह से मार्क टु मार्केट नुकसान बढ़ सकता है।

रैनबैक्सी, वोकहार्ट और ऑर्किड केमिकल्स पर एफसीसीबी की वजह से असर पड़  सकता है। भारतीय कंपनियों में बेहतर प्रदर्शन करने वालों में कैडिला हेल्थकेयर, डॉ रेड्डीस लैबोरेटरीज और सन फार्मा शामिल हैं।

रुपए की कमजोरी का आंशिक फायदा ही होने के आसार हैं क्योंकि ज्यादातर कंपनियों ने अपने ज्यादातर रिसीवेबल्स 41-42 रुपए के स्तर पर हेज कर रखे हैं।  सन फार्मा को रुपए की कमजोरी का सबसे ज्यादा फायदा होगा क्योंकि उसने ऊंचे स्तरों पर हेजिंग नहीं कर रखी है।

ऑपरेटिंग मार्जिन दो से चार फीसदी तक कम हो सकते हैं क्योकि ग्लेनमार्क और रैनबैक्सी जैसी भारतीय फार्मा कंपनियों के ऑपरेटिंग मार्जिन में काफी गिरावट आ सकती है। एमएनसी कंपनियों के मार्जिन में सुधार हो सकता है और एवेन्तिस और जीएसके फार्मा के मार्जिन में आधे से डेढ़ फीसदी का इजाफा देखा जा सकता है।

बड़ी फार्मा कंपनियों में सिपला एक्सपोर्ट में 29 फीसदी की ग्रोथ के कारण 17-23 फीसदी के बीच बढ़ सकती हैं। चालीस करोड़ डॉलर के फार्वर्ड कॉन्ट्रैक्ट के एमटीएम फॉरेक्स घाटे कंपनी के शुध्द मुनाफे को गिरा सकते हैं।

करेन्सी के समर्थन के बावजूद रैनबैक्सी के कुछ उत्पादों में अमेरिकी एफडीए की रोक की वजह से इसकी बिक्री 10 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। मार्जिन में फॉरेक्स घाटों की वजह से काफी गिरावट आ सकती है।

सन फार्मा के 39 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है लेकिन इसके मार्जिन में गिरावट देखी जा सकती है और इसका शुध्द लाभ 40 से 45 फीसदी की दर से बढ सकता है।

सीमेन्ट

दिसंबर 2007 की तिमाही की समाप्ति पर सीमेंट के कारोबार में मात्र 4.2 फीसदी की बढाेतरी दर्ज की गई थी। इसकी प्रमुख वजह आवासीय और निर्माण क्षेत्रों में मांग का कमी रही।

तीसरी तिमाही में सीमेंट का कारोबार और बेहतर होता लेकिन उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों में मांग के कमजोर रहने के कारण कारोबार काफी फीका रहा। हालांकि दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में कारोबार में 10 फीसदी की रफ्तार से तेजी बनी रही जबकि मध्य क्षेत्र में सीमेंट के कारोबार की 11 फीसदी की तेजी के साथ वापसी हुई।

पिछले साल से लेकर अब तक एक साल की अवधि में सीमेंट कंपनियों ने अपनी उत्पादन क्षमता में 31 मिलियन टन की बढ़ोतरी की है लेकिन वित्त वर्ष 2008-09 की तीसरी तिमाही में क्षमतओं के पूर्ण उपयोग में कमी आई और यह  85 फीसदी के स्तर पर पहुच गई जो पिछले साल की समान अवधि में 95 फीसदी थी।

ऊर्जा और फ्राइट की कीमातों में बढाेतरी के कारण पिछली कुछ तिमाहियों में  सीमेंट कंपनियों के मुनाफे पर बुरा असर पडा है। हालांकि आयातित कोयले या पेट कोल की कीमतों में तीसरी तिमाही में 60 फीसदी तक की गिरावट आने से कुछ फायदा मिल सकता है लेकिन यह फायदा तीसरी तिमाही के बाद ही देखने को मिल सकता है।

सीमेंट विश्लेषकों के अनुसार इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियां अंबूजा सीमेंट, मद्राष सीमेंट और अल्ट्राटेक के कारोबार के इकाई अंकों में ही सीमित हो जाने के कारण बिक्री में दिसंबर 2008 की तिमाही में 3-6 फीसदी की बढोतरी की संभावना है।

उत्पादन लागत में आई तेजी से रियलाइजेशन में सुधार के बावजूद मुनाफा मार्जिन में 3-7 फीसदी की कमी आने की संभावना जताई जा रही है। एसीसी, ग्रासिम, मद्राष सीमेंट और अल्ट्राटेक के  खस्ता कारोबार के कारण सीमेंट कंपनियों के शुध्द मुनाफे में करीब 20 फीसदी की कमी आ सकती है।

अगर एसीसी सीमेंट की बात करें तो आरएमसी करोबार के बेचे जाने के बाद इसके कारोबार विकास केइकाई अंकों में ही रहने की उम्मीद है।

कंपनी के परिचालन मुनाफे में 190-270 आधार अंकों की कमी आने की बात की जा रही है। करों के अधिक प्रावधान के कारण कंपनी केशुध्द मुनाफे पर और ज्यादा असर पड़ेगा और इसमें 15-30 फीसदी की कमी आ सकती है। 

ऑटोमोबाइल

अभी तक जो संकेत मिले हैं उसके अनुसार ऑटोमोबाइल क्षेत्र क्षेत्र के लिए  दिसंबर तिमाही के  परिणाम निराशाजनक की रह सकता है। विभिन्न ब्रोकिंग कंपनियों के विश्लेषक इस क्षेत्र के लिए दिसंबर तिमाही के परिणाम को लेकर बहुत उत्साहित नजर नहीं आ रहे हैं।

विश्लेषकों के अनुसार दिसंबर 2008 की तिमाही में इस क्षेत्र की कंपनियों की कुल बिक्री में 15-20 फीसदी जबकि शुध्द मुनाफे में 55-60 फीसदी की कमी आ सकती है। फर्च्यून फाइनेंशियल के विश्लेषक का मानना है कि पहले से ही उत्पादित वाहनों के जमावड़े से इन कंपनियों को अपने कई प्लांटो को बंद करना पडा जिससे इनके उत्पादन में काफी कमी आई है।

इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डीलरों केलिए व्यावसायिक वाहनों केलिए औसतन इन्वेंट्री की अवधि बढ़कर15-20 दिनों की बजाय अब 90 दिन हो गई है। जहां तक दोपहियों की बात है तो इसकेलिए इन्वेंट्री की अवधि बढ़कर 75 दिनों तक हो गई है जबकि पहले यह 10-15 दिनों की हुआ करती थीं।

मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का मानना है कि तीसरी तिमाही के दौरान कमोडिटी की कीमतों में हुई गिरावट का फायदा वाहन क्षेत्र को मिल सकता है लेकिन यह फायदा चौथी तिमाही के बाद से ही देखने को मिलेगा।

उत्पाद शुल्क में की गई कटौती से उद्योग के लिए इन्वेंटरी में घाटा लगेगा क्योंकि मौजूदा इन्वेंटरी को ग्राहकों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से कम किया जाएगा।

इसके परिणामस्वरूप मार्जिन में 344 आधार अंकों की कटौती हो सकती है और यह कम होकर 9.43 फीसदी तक पहुंच सकती है। हीरो होंडा के शुध्द मुनाफे में 4 फीसदी की कमी आने की संभावना जताई जा रही है जबकि जबकि अन्य कंपनियों केलिए इसमें 55-90 फीसदी तक की कमी आ सकती है।

अगर बजाज ऑटो की बात करें तो इस कंपनी की कुल बिक्री में प्राइस रियलाइजेशन के कारण 21-26 फीसदी की कमी आ सकती है। कच्चे मालों और फंडों की कीमतों के ज्यादा होने से परिचालन मार्जिन में 2 से 9 फीसदी कमी आने की संभावना जताई जा रही है जबकि शुध्द मुनाफे में 20-40 फीसदी की कमी आ सकती हैं।

तीसरी तिमाही के परिणामों में हीरो होंडा की बिक्री में 2-7 फीसदी की कमी आ सकती है जबकि परिचालन मुनाफ े में 45-110 आधार अंकों की कमी आ सकती है।

इसकी वजह कमोडिटी कीमतों में रही तेजी और रुपये के  अवमूल्यन के कारण आयात पर पडनेवाला असर हो सकती है। कंपनी के शुध्द मुनाफे में 9 फीसदी की कमी आ सकती है या फिर इसमें 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा सकती है।

यूटिलिटी वाहनों की बड़ी कंपनी महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के लिए भी दिसंबर तिमाही के परिणाम केज्यादा उत्साहजनक रहने की उम्मीद नहीं है। कंपनी की कुल बिक्री में 17-20 फीसदी की गिरावट आ सकती है जबकिकच्चे पदार्थों की ऊंची कीमतों का खामियाजा परिचालन मुनाफे में 280-500 आधार अंकों की कमी के रूप में भुगतना पड़ सकता है।

अगर कंपनी के शुध्द मुनाफे में 40-55 फीसदी की गिरावट आती है तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। कार निर्माता मारुति सुजुकी की  कहानी भी इसी तरह की होगी। कंपनी की कुल बिक्री में 8-11 फीसदी की कमी आ सकती है जबकि शुध्द मुनाफा में 55 फीसदी की गिरावट की संभावना व्यक्त की जा रही है।

टाटा मोटर्स की कुल बिक्री में व्यावसायिक वाहनों की  बिक्री में कमी और प्राइस रियलाइजेशन में आने के कारण 30 फीसदी की गिरावट देखने को मिलेगी। कच्चे मालों की ऊंची कीमतों और अपेक्षाकृत कम लीवरेज के कारण परिचालन मार्जिन में 430-700 आधार अंकों की कमी आ सकती है।

बैंकिंग

दिसंबर तिमाही के परिणाम बैकों के लिए खासे उत्साहजनक रह सकते है। सरकारी और निजी दोनो क्षेत्र के बैंकों का प्रदर्शन दिसंबर 2008 की तिमाही में बेहतर रहने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

इसके पीछे कारण यह है कि बैंकों के जमा रकम में 22 फीसदी जबकि कर्ज के आवंटन में 26 फीसदी का इजाफा हुआ है। बैंकों के नेट इंटरेस्ट इनकम में तीसरी तिमाही में 22-25 फीसदी की बढाेतरी की संभावना जताई जा रही है जबकि मुनाफे के20-25 फीसदी के करीब रहने की संभावना है।

हालांकि आईसीआईसीआई बैंक प्रदर्शन खस्ता रहेगा और इसकी विकास दर इकाई अंकों में रहेगी जबकि मुनाफे में कमी आ सकती है। लेकिन आईसीआईसीआई को छोड़कर अन्य सभी बैंकों के विकास और मुनाफे के  दोहरे अंकों में रहने के आसार हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख दरों में कटौती की घोषणा के बाद लगभग सभी बैंकों ने अपनी प्रमुख उधारी दरों में 1.25-1.50 फीसदी की कटौती की है।

इसके अलावा बैंकों ने विभिन्न परिपक्वता अवधि वाली जमा दरों में भी 1.25-1.50 फीसदी की कटौती की है। कर्ज की दरों में की गई कटौती तत्काल प्रभाव से लागू होगी जबकि जमा दरों में की गई कटौती के लागू होने में अभी थोडा समय लग सकता है।

इसके अलावा बैंकों ने बड़ी कंपनियों केसाथ अपनी कीमतों के नियंत्रण करने की क्षमता का परिचय देते हुए सब-पीएलआर कर्ज में भी कटौती की घोषणा कर डाली । इस कटौती और आरबीआई द्वारा नकद आरक्षी अनुपात में 3.5 फीसदी की कमी किए जाने से बैंकों की कमाई में इजाफा हुआ है जिससे पीएलआर में की गई कटौती से होनेवाली भरपाई को पूरा कर लिया जाएगा। 

मार्क-टू-मार्केट प्रावधानों में बदलाव से आईसीआईसीआई बैंकों को छोड़कर सभी बैंकों के शुध्द मुनाफे में बढ़ोतरी होगी। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान विभिन्न परिपक्वता वाली सरकारी सिक्योरिटी पर मिलने वाले मुनाफे में 75-125 आधार अंकों की तेजी के कारण बैंकों को उनकेपोर्टफोलियो में जबरदस्त मार्क-टू-मार्केट घाटे का सामना करना पडा था।

हालांकि तीसरी तिमाही में दस वर्ष और एक  साल की अवधि वाली सिक्योरिटी  पर मिलनेवाले मुनाफे में 320-375 आधार अंकों की गिरावट आ चुकी है जिससे एमटीएम प्रावधानों में बदलाव से सभी बैंकों को अधिक कारोबारी मुनाफा मिल सकता है।

विभिन्न ब्रोकिंग कंपनियों के बैंकिंग विश्लेषककेमुताबिक एचडीएफसी बैंक के इंटरेस्ट इनकम में 25-40 फीसदी की बढाेतरी हो सकती है जबकि शुध्द मुनाफे में 30-40 फीसदी की तेजी आ सकती है। आईसीआईसीआई बैंक का प्रदर्शन कर्ज देने में आई मात्र 4 फीसदी की तेजी से फीका रह सकता है।

दिसंबर तिमाही में बल्क डिपॉजिट के कुल पुनर्भुगतान के कारण बैंक की जमा राशि में 6 फीसदी की गिरावट आने की संभावना जाहिर की जा रही है। कुल मिलाकर आईसीआईसीआई बैंक  के  इंटरेस्ट इनकम के मात्र 5-10 फीसदी के बीच रहने की संभावना है जबकि शुध्द मुनाफा सपाट या फिर नकारात्मक रह सकता है।

पंजाब नेशनल बैंक के कर्ज देने की मात्रा और जमा राशि(डिपॉजिट) में जबरदस्त तेजी देखने को मिल सकती है जबकि मार्जिन में आनेवाली तिमाहियों में इस तिमाही के दौरान पीएलआर में कटौती के कारण कमी आ सकती है।

विश्लेषकों का मानना है कि पीएनबी के इंटरेस्ट इनकम में 25-30 फीसदी की इजाफा होगा जबकि शुध्द मुनाफे में भी इतने फीसदी की तेजी देखने को मिलेगी।

भारतीय स्टेट बैंक का प्रदर्शन भी धमाकेदार रहने की उम्मीद है। बैंक के इंटरेस्ट इनकम में 25-30 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है जबकि शुध्द मुनाफा 40-50 फीसदी केबीच रह सकता है।

First Published - January 8, 2009 | 10:36 PM IST

संबंधित पोस्ट