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Infosys Buyback: सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों के शेयरों में मंगलवार को इन्फोसिस की अगुआई में तेजी दर्ज हुई, जिसकी शेयर पुनर्खरीद योजना के चलते इन्फी में 5 फीसदी की उछाल आई। इन्फोसिस ने सोमवार को बाजार बंद होने के बाद एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कहा था कि उसका निदेशक मंडल गुरुवार को शेयर पुनर्खरीद के प्रस्ताव पर विचार करेगा। निफ्टी आईटी सूचकांक में 2.8 फीसदी की वृद्धि हुई, जो 12 मई के बाद सबसे ज्यादा है। इन्फोसिस सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला सेंसेक्स का शेयर रहा और सेंसेक्स की बढ़त में इसका सबसे बड़ा योगदान रहा।
इन्फोसिस, टीसीएस और एचसीएल टेक ने इंडेक्स की बढ़त में सबसे ज्यादा योगदान किया।
विश्लेषकों का कहना है कि इस साल इन्फोसिस का प्रदर्शन अपने लार्ज-कैप प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले कमज़ोर रहा है और बायबैक की घोषणा स्थिरता का संकेत देती है, जिससे इसके मल्टीपल के दोबारा मूल्यांकन में मदद मिल सकती है। सालाना आधार पर इन्फोसिस के शेयर में 23.8 फीसदी की गिरावट आई है। हाल ही में जारी रोजगार रिपोर्ट के बाद रुपये में गिरावट और अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती संभावना से भी आईटी शेयरों में तेजी को समर्थन मिला।
पिछले सप्ताह जारी अमेरिकी गैर-कृषि पेरोल रिपोर्ट से पता चला है कि अगस्त में 22,000 नौकरियां सृजित हुईं, जबकि जुलाई में 79,000 और ब्लूमबर्ग द्वारा सर्वेक्षण किए गए विश्लेषकों द्वारा 75,000 की अपेक्षा की गई थी।
अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती भारतीय आईटी कंपनियों के लिए सकारात्मक है, जो अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका से अर्जित करती हैं क्योंकि इससे प्रौद्योगिकी क्षेत्र में खर्च में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए भी सकारात्मक है, जिससे वे विदेशी निवेशकों के लिए और अधिक आकर्षक बन जाते हैं।
मंगलवार की बढ़त के बावजूद विश्लेषक आईटी शेयरों में तेजी बने रहने को लेकर संशय जता रहे हैं।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक चोकालिंगम ने कहा, यह तेजी इन्फोसिस द्वारा बायबैक की घोषणा के कारण आई है। अन्य आईटी कंपनियां भी समय-समय पर बायबैक के लिए जानी जाती हैं। हालांकि इस बार वे पुनर्खरीद करेंगी या नहीं, यह देखना बाकी है। शेयरधारकों के हाथों में लाभ पहुंचने के बाद बायबैक की चमक फीकी पड़ गई है। फिर भी, टैरिफ का खतरा अभी भी बना हुआ है, इसलिए यह तेजी शायद थम जाएगी। जब तक टैरिफ युद्ध का कोई सौहार्दपूर्ण समाधान नहीं निकलता, आईटी शेयरों का प्रदर्शन कमजोर रहने की संभावना है।