दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) अगले 6 महीने में लगभग 900 या 1,000 करोड़ रुपये जुटाएगी। इसके लिए वह विशेष उद्देश्य वाली कंपनी बनाने जा रही है।
कॉरपोरेशन ने अंतरराष्ट्रीय सलाहकार कंपनी केपीएमजी को इसकी संभाव्यता रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।कॉरपोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकरी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि शुरुआत में 10 फीसदी हिस्सेदारी विशेष कंपनी को दे दी जाएगी। उसी से 1,000 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है।
यह विशेष कंपनी डीवीसी के पूर्ण स्वामित्व वाली सहयोगी कंपनी हो सकती है।अधिकारी ने बताया, ‘शुरुआत में हम 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचेंगे और देखेंगे कि इस पर बाजार का कैसा रुख रहता है। हालांकि इस बारे में अंतिम फैसला तो केपीएमजी की रिपोर्ट मिलने के बाद ही किया जाएगा। जमा होने वाली राशि 900 से 1,000 करोड़ रुपये के बीच कुछ भी हो सकती है।’
लगभग 4,600 करोड़ रुपये की कंपनी को 1048 के डीवीसी अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था। इस योजना को निदेशक मंडल, तीनों शेयरधारकों, पश्चिम बंगाल और झारखंड सरकारों तथसा केंद्र की हरी झंडी मिल चुकी है। केंद्र की ओर से कोई रुकावट होने के आसार नहीं हैं, लेकिन दोनों राज्य सरकारों की वजह से कुछ कानूनी दिक्कतें हो सकती हैं।
अधिकारी ने इस बारे में बताया, ‘सार्वजनिक उपक्रम होने की वजह से कुछ भावनाएं तो इससे जुड़ी ही होती हैं। इसीलिए आईपीओ के ऐलान के बाद जनता की प्रतिक्रिया के बारे में कोई भी अंदाजा लगाना मुश्किल है। इसीलिए केपीएमजी को कानूनी पचड़ों और सभी हलकों से होने वाली प्रतिक्रियाओं का अनुमान लगाने के लिए कहा गया है।’
दामोदर वैली कॉरपोरेशन ने प्रस्तावित विशेष कंपनी को दी जाने वाली परियोजनाओं के बारे में कोई फैसला नहीं किया है। डीवीसी के चेयरमैन ए के बर्मन ने भी यही कहा कि केपीएमजी को आईपीओ के बारे में पड़ताल करने को कहा गया है।
बर्मन ने आईपीओ के आकार के बारे में और कुछ नहीं बताया। उन्होंने कहा कि केपीएमजी अपना अध्ययन जल्द ही पूरा कर लेगा और उसके मुताबिक ही फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कंपनी को कुछ मौजूदा परियोजनाएं सौंपी जा सकती हैं और यह भी हो सकता है कि उसे नई परियोजनाएं दी जाएं। इस बारे में फैसला बाद में ही होगा।
डीवीसी ने 2011-12 तक अपनी बिजली उत्पादन क्षमता 11,000 मेगावाट करने की योजना तैयार की है। फिलहाल उसकी क्षमता लगभग 2,400 मेगावाट है। लेकिन इसमें 9,000 मेगावाट का इजाफा करने के लिए उसे कम से कम 40,000 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। इसमें से 30 फीसदी रकम आंतरिक संसाधनों से आएगी, जबकि 70 फीसदी ऋण के जरिये जुटाई जाएगी।
कॉरपोरेशन मेजिया, चंद्रपुरा, बोकारो, दुर्गापुर, कोडरमा, रघुनाथपुर और मैथॉन में अपने बिजली संयंत्रों की क्षमता बढ़ाएगी। डीवीसी द्वारा उत्पादित अतिरिक्त बिजली का 20 फीसदी हिस्सा नई दिल्ली को दिया जाएगा। पिछले कुछ वर्षों में डीवीसी के संयंत्रों का लोड फैक्टर 59 फीसदी से बढ़कर 75 फीसदी पर आ गया है। यह चालू वित्त वर्ष में 80 फीसदी हो जाने की उम्मीद है।