भारतीय डायरेक्ट सेलिंग उद्योग की वृद्धि पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में 5.3 प्रतिशत घटकर 19,020 करोड़ रुपये रही। उद्योग की वृद्धि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित हुई। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
उद्योग निकाय इंडियन डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन (IDSA) के एक वार्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 60 प्रतिशत डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों की बिक्री पर महामारी के दौरान कई चुनौतियों की वजह से नकारात्मक असर पड़ा है। इससे पिछले वित्त वर्ष (2020-21) में डायरेक्ट सेलिंग उद्योग ने 7.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी। इस दौरान इसकी कुल बिक्री 18,067 करोड़ रुपये रही थी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उद्योग कोविड महामारी के बाद खुद को संभाल रहा है और कोविड-पूर्व के स्तर पर लौट रहा है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि शीर्ष 10 राज्यों का उद्योग के कुल कारोबार में 70 प्रतिशत हिस्सा है। कारोबार में 12 प्रतिशत के साथ महाराष्ट्र की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। उसके बाद 10-10 प्रतिशत के साथ प. बंगाल और उत्तर प्रदेश का स्थान है। बिहार का कुल कारोबार में योगदान छह प्रतिशत तथा कर्नाटक और ओड़िशा का पांच-पांच प्रतिशत है।