दीवान हाउसिंग फाइनैंस (डीएचएफएल) के बोलीदाता इस दिवालिया कंपनी के लिए अंतिम बोली लगाने को लेकर उलझन में हैं क्योंकि ग्रांट थॉर्नटन की एक जांच रिपोर्ट ने इसके खुदरा, थोक एवं झुग्गी पुनर्विकास खातों में व्यापक धोखाधड़ी को उजागर किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बांद्रा की एक शाखा से संचालित होने वाली 91 काल्पनिक संस्थाओं के जरिये 2006-07 से ही रकम की निकासी की जा रही थी।
ग्रांट थॉर्नटन की यह जांच रिपोर्ट नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। रिपोर्ट में इन काल्पनिक यानी गैर-मैजूद संस्थाओं को ‘बांद्रा बुक एंटिटीज’ कहा गया है। रिपोर्ट ने डीएचएफएल के बहीखाते में 14,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी का खुलासा किया है जिसमें थोक ऋण खातों में 9,320 करोड़ रुपये का अंतर, एसआरए (झुग्गी पुनर्विकास प्राधिकरण) खातों में 1,707 करोड़ रुपये का नुकसान और खुदरा ऋण खातों में 3,000 करोड़ रुपये का हस्तांतरण शामिल हैं।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इन ऋणों की वसूली में संदेह है। एक बैंकर ने कहा कि इस रिपोर्ट के साथ ही डीएचएफएल की परिसंपत्तियों की बिक्री में और देरी हो सकती है क्योंकि बोलीदाताओं को कंपनी की देनदारियों के संबंध में कहीं अधिक स्पष्टता की दरकार होगी।
एक बोलीदाता ने कहा कि उन्होंने यह रिपोर्ट देखी है और अब निर्णय लेंगे कि बोली लगाने के लिए आगे बढऩा चाहिए अथवा नहीं। उस बोलीदाता का प्रतिनिधित्व करने वाले एक व्यक्ति ने कहा, ‘हम 100 फीसदी यह सुनिश्चित करने के बाद ही बोली लगाएंगे कि बहीखाता दुरुस्त है और निवेशकों पर किसी भी तरह की भविष्य की देनदारी नहीं है।’
इसी साल फरवरी में करीब 24 कंपनियों ने डीएचएफएल के अधिग्रहण में दिलचस्पी दिखाई थी। उनमें एऑन कैपिटल, अदाणी कैपिटल, हीरो फिनकॉर्प, केकेआर क्रेडिट एडवाइजर्स, ओकट्री, मॉर्गन स्टैनली, गोल्डमैन सैक्स ग्रुप, डॉयचे बैंक, वारबर्ग पिंकस, एसएसजी कैपिटल, एडलवाइस, लोन स्टार और ब्लैकस्टोन शामिल हैं। अब इनमें से कुछ ही कंपनियां डीएचएफएल के निवेश की दौड़ में बची हैं और इसलिए लेनदार बोली जमा कराने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 17 अक्टूबर करने की योजना बना रहे हैं।
ग्रांट थॉर्नटन की इस रिपोर्ट पर टिप्पणी के लिए डीएचएफएल के प्रशासक को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं आया। हालांकि कंपनी अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नियुक्त प्रशासक के तहत संचालित हो रही है। उसने 9 सितंबर को स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा कि लेनदेन संबंधी ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार लेनदेन का मौद्रिक प्रभाव 14,046 करोड़ रुपये था जो उसके 30 जून 2019 तक उसके बहीखाते पर बकाया रकम है।
इस आवास वित्त कंपनी के सावधि जमा खाताधारकों का करीब 15,000 करोड़ रुपये और बैंकों का करीब 38,000 करोड़ रुपये का बकाया है। डीएचएफएल का अनुमानित ऋण बोझ करीब 88,000 करोड़ रुपये है जिसमें म्युचुअल फंडों और बॉन्डधारकों का भी बकाया शामिल है।
कंपनी को उत्तर प्रदेश में भी जांच का सामना करना पड़ रहा है। राज्य के बिजली बोर्ड के कर्मचारियों के भविष्य निधि खाते के भुगतान में चूक के बाद जांच शुरू की गई थी।
पिछले साल अक्टूबर में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा शुरू किया गया और केपीएमजी द्वारा संचालित एक फोरेंसिक ऑडिट से खुलासा हुआ था कि डीएचएफएल के प्रवर्तकों ने कंपनी से रकम को हस्तांतरित किया और कई मामलों में डीएचएफएल द्वारा उधारी दी गई रकम के उपयोग संबंधी कोई उचित रिकॉर्ड नहीं था। प्रवर्तन निदेशलय (ईडी) द्वारा मामले की जांच फिलहाल जारी है।
