नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने आज गो फर्स्ट (Go First) विमानन कंपनी से नियमों के अनुसार उन यात्रियों को पैसा लौटाने के लिए कहा, जो टिकट रद्द होने से प्रभावित हुए हैं। प्रति दिन लगभग 200 उड़ानों का परिचालन कर रही गो फर्स्ट ने मंगलवार को दिवाला प्रक्रिया की शुरुआत की और 3 से 5 मई के बीच सभी उड़ानें रद्द कर दीं।
गुरुवार को विमानन कंपनी ने घोषणा की कि वह उड़ान रद्द करने की अवधि 9 मई तक बढ़ा रही है। विमानन कंपनी 10 से 15 मई के बीच उड़ानों के लिए कोई नई बुकिंग भी नहीं कर रही है।
अमेरिका की प्रैट ऐंड व्हिटनी (Pratt & Whitney) द्वारा इंजन की आपूर्ति में देर करने की वजह से विमानन कंपनी के 57 विमानों के बेड़े में से लगभग आधा बेड़ा खड़ा हुआ है। विमानन कंपनी ने अपने नकदी संकट के लिए सीधे तौर पर प्रैट ऐंड व्हिटनी को जिम्मेदार ठहराया है।
DGCA ने मंगलवार को गो फर्स्ट को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। DGCA ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि गो फर्स्ट ने अपनी प्रतिक्रिया भेजी है, जिसमें उन्होंने सूचित किया है कि IBC (ऋण शोधन अक्षमता और दिवाला संहिता, 2016) की धारा 10 के अंतर्गत उन्होंने NCLT (राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट) के समक्ष आवेदन दायर किया है।
DGCA ने कहा कि विमानन कंपनी ने उसे बताया है कि उसने 3 से 5 मई तक उड़ानें ‘अस्थायी तौर पर निलंबित’ कर दी हैं और आगे की कार्रवाई NCLT के समक्ष उनके आवेदन के परिणाम के अनुसार तय की जाएगी।
गो फर्स्ट ने DGCA को यह भी बताया है कि उसने ‘15 मई तक अपनी उड़ानों की बिक्री निलंबित’ कर दी है तथा उन यात्रियों को भविष्य की तारीखों के लिए पैसा लौटाने या समय सारणी में फेरबदल करने के लिए काम कर रहा है, जो पहले से ही उनके पास उड़ान के लिए बुकिंग कर चुके हैं।
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नियामक ने कहा कि उसने गो फर्स्ट की प्रतिक्रिया की जांच की है तथा प्रचलित नियमों के तहत आदेश जारी किया है, जिसमें उन्हें संबंधित नियमों में विशेष रूप से निर्धारित समयसीमा के अनुसार यात्रियों को रिफंड की प्रक्रिया करने का निर्देश दिया गया है।
DGCA ने कहा है कि गो फर्स्ट द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के अपना निर्धारित परिचालन निलंबित करने के अचानक निर्णय के मद्देनजर वह यात्रियों की असुविधा को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
विमानन सलाहकार फर्म सीएपीए इंडिया ने ट्विटर पर कहा कि भारत को ब्रिटेन में एटीओएल की तर्ज पर विमानन कंपनी बंद होने की स्थिति में पूरा पैसा लौटाते हुए ग्राहक संरक्षण को संस्थागत बनाने के लिए तत्काल तंत्र शुरू करना चाहिए। फर्म ने कहा कि सीएपीए इंडिया वर्ष 2011 से इसकी सिफारिश कर रही है।