Patanjali Ayurveds’s Coronil: कोरोना की महामारी के दौरान पतंजलि ब्रांड के तहत लॉन्च हुई कोरोनिल (Coronil) को अब कोविड-19 के ‘क्योर’ यानी ‘इलाज’ के तौर पर कंपनी नहीं दिखाया जा सकता। दिल्ली हाईकोर्ट ने आज यानी 29 जुलाई को आदेश देते हुए कहा कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि 3 दिन के भीतर इस दावे को हटा ले।
हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि बाबा रामदेव सार्वजनिक रूप से दिए गए अपने उन बयानों को वापस लें, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि कोरोनिल सिर्फ इम्यूनिटी बूस्टर नहीं, बल्कि कोविड-19 का ‘इलाज’ है। हाईकोर्ट ने कहा कि वे सारे बयान सोशल मीडिया से हटाए जाएं जिसमें बाबा रामदेव ने दावा किया था कि एलोपैथी कोविड -19 में लाखों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार थी और पतंजलि का कोरोनिल कोरोना वायरस का ‘इलाज’ है।
जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने 2021 में दायर की गई उस याचिका पर फैसला सुनाया जो रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के साथ-साथ पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कई डॉक्टरों के संघों द्वारा 2021 के मुकदमे का हिस्सा हैं। गौरतलब है कि 27 अक्टूबर, 2021 को हाईकोर्ट ने मुकदमे पर रामदेव और अन्य को समन जारी किया था।
डॉक्टरों के असोशिएसन ने बाबा रामदेव पर आरोप लगाया था कि बाबा रामदेव गलत जानकारी देकर बड़े पैमाने पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं, जिससे लोगों को यह कहकर अस्पताल में भर्ती नहीं होने के लिए प्रेरित किया जा रहा है कि एलोपैथी Covid -19 से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार है।
बाबा रामदेव के इस बयान के बाद एलोपैथी के डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में पतंजलि के खिलाफ मुकदमा दायर किया। मुकदमे में कहा गया, बाबा रामदेव न केवल एलोपैथिक उपचार बल्कि अन्य कोविड-19 वैक्सीन की प्रभावकारिता के संबंध में लोगों के मन में संदेह पैदा कर रहे थे।
इसके अलावा, मुकदमें में असोशिएसन की तरफ से यह भी यह तर्क दिया गया कि एक प्रभावशाली व्यक्ति होने के नाते, रामदेव के बयान बड़े पैमाने पर जनता को प्रभावित कर सकते हैं और इस तरह उन्हें एलोपैथी उपचार चुनने से रोक सकते हैं, जिसे सरकार द्वारा भी देखभाल के एक मानक रूप के रूप में निर्धारित किया गया है।
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद पर कार्रवाई करते हुए फटकार लगाई थी। जिसके बाद बाबा रामदेव ने बयान दिया था कि वे सार्वजनिक रूप से माफी मांगना चाहते हैं। रामदेव ने भी पीठ से कहा कि उनका किसी भी तरह से अदालत के प्रति अनादर दिखाने का कोई इरादा नहीं था।