दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जेनसोल इंजीनियरिंग और ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी को फाइनैंस फर्म क्लाइम फाइनैंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा उन्हें पट्टे पर दिए गए 95 इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के संबंध में तीसरे पक्ष के अधिकार बेचने, स्थानांतरित करने से रोक दिया। इलेक्ट्रिक वाहनों की देखभाल सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय द्वारा नियुक्त रिसीवर को उनकी निगरानी एवं देखरेख में लगाया गया है, जिसमें बैटरी मैंटेनेंस भी शामिल है।
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह के एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि जेनसोल और ब्लूस्मार्ट रिसीवर के वाहनों के रखरखाव के काम में हस्तक्षेप नहीं करेंगी। राइड-हेलिंग फर्म ब्लूस्मार्ट संकटग्रस्त फर्म जेनसोल इंजीनियरिंग की सहायक कंपनी है।
न्यायालय ने कहा, ‘किसी तरह की बाधा आने पर रिसीवर को स्थानीय पुलिस स्टेशन से पुलिस सहायता लेने की स्वतंत्रता होगी। पुलिस इसमें उसका पूरा सहयोग करेगी।’
क्लाइम फाइनैंस ने आर्बिटेशन ऐंड कंसिलिशएशन ऐक्ट की धारा 9 के तहत उच्च न्यायालय का रुख किया और कहा कि उसने 2022 में कैब और राइड-शेयर सेवाओं के लिए 95 टाटा इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) को जेनसोल और ब्लूस्मार्ट को तीन साल के पट्टे पर दिए थे। उसने कहा कि दोनों कंपनियों ने मार्च 2025 में पट्टे से संबंधित भुगतान नहीं किया था। धारा 9 न्यायालय को मध्यस्थता कार्यवाही में पक्षकारों को मध्यस्थता निर्णय दिए जाने से पहले, उसके दौरान या उसके बाद भी, लेकिन उसके लागू होने से पहले अंतरिम राहत प्रदान करने का अधिकार देती है।
ब्लूस्मार्ट द्वारा परिचालन बंद कर दिए जाने के बाद क्लाइम ने आपत्ति जताई और कहा कि उसके अनुबंधों ने उसे डिफॉल्ट की स्थिति में वाहन वापस लेने की अनुमति दी। न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को करेगा।