वैश्विक स्तर पर दूरसंचार परिचालकों पर निवेश पर लगातार कम रिटर्न (आरओआई) का दबाव है। यह मात्र 3 प्रतिशत है। इस कारण 5जी सेवाओं से आमदनी में कमी के कारण 6जी तकनीक के आने में देर हो सकती है। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक एसपी कोचर ने आज यह आशंका जताई। बार्सिलोना में हाल में संपन्न वार्षिक मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस (एमडब्ल्यूसी) शिखर सम्मेलन में इस मसले पर विस्तार से चर्चा हुई थी और नेटवर्क के बुनियादी ढांचे में निवेश का बोझ साझा करने के लिए ओवर द टॉप (ओटीटी) संचार की जरूरत पर जोर दिया गया।
कोचर ने कहा, ‘निवेश पर रिटर्न मिलने की सकारात्मकता अब कुछ कम हो गई है। इसलिए दूरसंचार कंपनियां कुछ सावधानी के साथ बुनियादी ढांचा बढ़ा रही हैं। 5जी के लिए नेटवर्क की शुरुआत दुनिया भर में धीमी पड़ गई है। अगर अगले दो से तीन साल में 5जी उपयोग के मामले बढ़ते नहीं होते हैं, तो 6जी सेवाओं की योजनाबद्ध शुरुआत साल 2030 से आगे तक टल सकती है।’
भारतीय दूरसंचार कंपनियों का औसत आरओआई चार प्रतिशत है। तीन निजी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) – रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का प्रतिनिधित्व करने वाले सीओएआई का मानना है कि ओटीटी से उत्पन्न डेटा ट्रैफिक में भारी उछाल के कारण दूरसंचार कंपनियों द्वारा दूरसंचार नेटवर्क को बनाए रखने के लिए बड़े पूंजी निवेश की जरूरत पैदा हो गई है तथा चार से पांच बड़े ट्रैफिक उत्पन्न करने वाले (एलटीजी) ओटीटी को उचित हिस्सेदारी शुल्क (एफएससी) का भुगतान करना चाहिए।
ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट की खरीद के ऑर्डर दिए
महानिदेशक ने कहा कि भारतीय दूरसंचार कंपनियों ने ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) की खरीद के ऑर्डर दे दिए हैं। वे अपने नेटवर्क पर पैदा होने वाले भारी ट्रैफिक को संभालने की जरूरत को देखते हुए जल्द ही उन्हें नेटवर्क के बुनियादी ढांचे में शामिल करने की योजना बना रही हैं। दूरसंचार नेटवर्क में जीपीयू का तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि रियल टाइम डेटा विश्लेषण, नेटवर्क दक्षता और एआई-संचालित सेवाओं जैसे कंप्यूटेशन वाले गहन कार्यों को संभाला जा सके।