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तेल में उबाल से डेक्कन बेहाल

Last Updated- December 05, 2022 | 11:40 PM IST

ईंधन की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी ने डेक्कन एविएशन के बही-खाते में छेद कर कंपनी के मुनाफे को घाटे में तब्दील कर दिया।


31 मार्च, 2008 को समाप्त हुई कंपनी की तीसरी तिमाही में उसका एकल शुध्द घाटा 199. 65 करोड़ रुपये हो गया। गौरतलब है कि पिछले वर्ष समान अवधि में कंपनी का एकल शुध्द घाटा 213 करोड़ रुपये था।


कंपनी को हुए इस घाटे पर डेक्कन अधिकारियों का कहना है कि मार्च 2007 की तुलना में मार्च 2008 में ईंधन की कीमतों में 36 फीसदी का उछाल आया है। वित्त वर्ष 2007 में कुल लागत का 39 हिस्सा ईंधन में खर्च हुआ, जबकि पिछले वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2008 में यह आंकड़ा 40 प्रतिशत रहा। ऐसे में ईंधन की कीमतों के बढ़ने से कंपनी की लागत पर भी काफी असर पड़ता है।


किंगफिशर एयरलांइस में मिल चुकी कंपनी का कहना है कि आय बढ़त के परिणामस्वरूप कंपनी का राजस्व 33 प्रतिशत वृध्दि के साथ इस तिमाही के लिए 607 करोड़ रुपये हो गया है।


कंपनी की ओर से जारी एक वक्तव्य में बताया गया है कि हर टिकट पर औसत मूल्य वित्त वर्ष 2008 की तीसरी तिमाही में 36 फीसदी बढ़त के साथ 3,274 रुपये हो गया, जबकि वह वित्त वर्ष 2007 की तीसरी तिमाही में 2,412 रुपये था। एयरलांइस की इस तिमाही के लिए कर अदायगी से पहले उसका घाटा 198 करोड़ रुपये था, जबकि पिछले वर्ष कंपनी को 212 करोड़ रुपये का घटा हुआ था।


कंपनी के वक्तव्य में कहा गया है, ‘डेक्कन परिचालन विश्वसनीयता को बेहतर करने पर लगातार जोर देगी और समय पर काम से डेक्कन को अपने मेहमानों का अधिक विश्वास मिलेगा। एयरलाइन को ग्राहकों के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए प्रयासों को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और इससे एयरलाइन की स्थिति को धीरे-धीरे एयरलाइन के रूप में मजबूती मिलेगी।’


डेक्कन के कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी, रमकी सुंदरम का कहना है कि संस्थगत क्षमताओं को दुरुस्त करते हुए एयरलाइनों की संयुक्त कंपनी बड़ी एयरलाइन के रूप में उभर के सामने आएगी।

First Published - April 24, 2008 | 12:19 AM IST

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