वित्त मंत्रालय मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं के दोबारा तैयार किए गए उस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है कि अत्यधिक महंगे फोनों की अनियंत्रित और बढ़ती तस्करी से कैसे मुकाबला किया जाए।
प्रस्ताव में सुझाव दिया गया है कि 35,000 से 40,000 रुपये से अधिक की सीआईएफ (लागत, बीमा और माल ढुलाई या बंदरगाह तक लाने की कीमत) वाले फोन पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को कम किया जाए।
इन फोनों की खुदरा कीमत 70,000 रुपये से अधिक है। देश की स्मार्टफोन बिक्री में इनकी हिस्सेदारी पांच प्रतिशत से भी कम रहती है।
पिछले साल दिसंबर में इंडियन सेल्युलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) द्वारा दिए गए एक प्रस्ताव में 25,000 रुपये से 30,000 रुपये की सीमा तय करने का सुझाव दिया गया था, जो वित्त मंत्रालय को पसंद नहीं आया। उसने चिंता जताई कि यह सीमा रखने से कुछ फोन के उन घरेलू उत्पादन पर असर पड़ेगा, जो भारत में 40,000 रुपये की निर्माण लागत से निर्मित किए जा रहे हैं।
मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं से उन सिफारिशों की मांग की गई थीं, जो घरेलू विनिर्माण की रक्षा करें, राजस्व के लिहाज से तटस्थ रहें और तस्करी सीमित को सीमित करें।
पहले प्रस्ताव में 5,000 से 6000 रुपये तक की एक समान बीसीडी दर का सुझाव दिया गया था। नवीनतम प्रस्ताव में कहा गया है कि यह दर किसी फोन के लिए 8,000 रुपये या उससे अधिक तक जा सकती है।
आईसीईए के अनुमान के अनुसार इस साल बहुत प्रीमियम श्रेणी वाले फोनों की तस्करी 10,000 करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंचने की आशंका है, जिसमें से 8,000 करोड़ रुपये की तस्करी सबसे महंगे वाले फोन की हो सकती है।
आयातित फोन पर लगाए गए 45 प्रतिशत कर (22 प्रतिशत बीसीडी और 18 प्रतिशत जीएसटी) के परिणामस्वरूप भारी मध्यस्थता के कारण तस्करी में साल दर साल इजाफ हो रहा है।
आसान शब्दों में कहें, तो दुबई या अमेरिका की तुलना में भारत में उसी फोन की कीमत का अंतर 40,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक कम हो सकता है।
अमेरिका और दुबई में आईफोन काफी सस्ता
उदाहरण के लिए 128 जीबी वाला आईफोन 14 प्रो दुबई में 34,204 रुपये और अमेरिका में 44,138 रुपये तक सस्ता है। इससे भी महंगा एक टीबी वाला आईफोन 14 प्रो मैक्स अमेरिका में 52,630 रुपये तक और दुबई में 38,554 रुपये तक सस्ता है। कर ढांचे में बदलाव पर बातचीत चल रही है।