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हेजल मर्केंटाइल के साथ चल रही बातचीत विफल हुई तो एनसीएलटी जाएंगे लेनदार !

हेजल ने रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग के लिए 2,100 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।

Last Updated- July 02, 2023 | 9:42 PM IST
Creditors to move NCLT if talks with Hazel Mercantile fail!

ऋणदाता 263 करोड़ रुपये की अग्रिम नकद राशि के भुगतान की समयसीमा बढ़ाने के लिए दिवालिया कंपनी रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग की सबसे ऊंची बोली लगाने वाली हेजल मर्केंटाइल के साथ बातचीत कर रहे हैं।

अगर यह बातचीत विफल हो जाती है, तो ऋणदाता परिसंपत्ति की दोबारा नीलामी के वास्ते आगे के निर्देश मांगने के लिए एनसीएलटी जाने की योजना बना रहे हैं। इस साल मार्च में दिए गए राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) के आदेश के अनुसार, हेजल के पास अग्रिम नकद राशि का भुगतान करने के लिए 23 जुलाई तक का वक्त है।

हेजल ने रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग के लिए 2,100 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। अनिल अंबानी समूह की पूर्व कंपनी 13,000 करोड़ रुपये का ऋण नहीं चुका पाई थी। इसमें से उसे मार्च तक अग्रिम राशि के रूप में 263 करोड़ रुपये और शेष राशि का भुगतान अगले पांच साल के दौरान किस्तों में करना था।

अहमदाबाद के एनसीएलटी के निर्देशानुसार कंसोर्टियम ने अब तक 30 करोड़ रुपये जमा किए हैं।

बैंकिंग क्षेत्र के एक सूत्र ने कहा कि अगर कंपनी समय पर अग्रिम राशि का भुगतान करने में विफल रहती है, तो हम एनसीएलटी से दूसरी नीलामी के लिए कहेंगे।

कंपनी ने एनसीएलटी के समक्ष अपनी याचिका में कहा था कि उसने धन जुटाने के लिए निवेशकों का इंतजाम किया हुआ है, लेकिन एक भारतीय समूह पर अमेरिका की शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट के कारण इस साल जनवरी में पूंजी बाजार में दिक्कत की वजह से उसके लिए धन जुटाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

समाधान योजना के घटनाक्रम के अनुसार स्वान एनर्जी को इस साल दिसंबर तक ऋणदाताओं को 312 करोड़ रुपये का और अगले साल दिसंबर तक 196 करोड़ रुपये की एक और किस्त का भुगतान करना है।

वह दिसंबर 2025 तक 188 करोड़ रुपये, दिसंबर 2026 तक 280 करोड़ रुपये और दिसंबर 2027 के अंत तक शेष 864 करोड़ रुपये का भुगतान करने पर सहमत हुई है।

कंपनी को ऋणशोधन अक्षमता और दिवाला संहिता 2016 के तहत ऋण समाधान के लिए भेजा गया था

हेजल मर्केंटाइल की समाधान योजना को पिछले साल दिसंबर में अहमदाबाद के एनसीएलटी द्वारा अनुमोदित किया गया था।

इस बीच ऋणदाताओं ने अपनी ऋण बिक्री की मांग का आकलन करने के लिए परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) के साथ बातचीत भी शुरू कर दी है। इस घटनाक्रम से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि आईबीसी में कुछ मामले पांच साल से अधिक समय से चल रहे हैं। इसलिए ऋणदाता ऋण बिक्री के जरिये अपने जोखिम से बाहर निकलने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।

नवंबर 2021 में बैंकों ने नव गठित राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी को अपने ऋण बेचने के लिए बातचीत शुरू की थी, लेकिन बिक्री परवान नहीं चढ़ सकी।

First Published - July 2, 2023 | 9:42 PM IST

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