बीएस बातचीत
कोविड-19 वैश्विक महामारी ने देश में कोहराम मचा दिया है। एमेजॉन इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं कंट्री प्रमुख अमित अग्रवाल इस प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी में अपनी टीम के साथ खुद की भूमिका को वैश्विक महामारी के बीच चुनौतीपूर्ण समस्याओं को निपटाने और लोगों के दैनिक जीवन एवं आजीविका पर सार्थक प्रभाव पैदा करने के लिए एक दुर्लभ अवसर के रूप में देखते हैं। अग्रवाल ने पीरजादा अबरार से बातचीत में कहा कि कोविड महामारी ने काफी ग्राहकों और छोटे कारोबारियों को ऑनलाइन होने के लिए एक ढांचागत बदलाव किया है। पेश हैं मुख्य अंश:
कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के बाद भारत में ई-कॉमर्स और एमेजॉन के प्रभाव एवं विकास को आपे किस प्रकार देखते हैं?
पिछले 15 महीने और विशेष तौर पर पिछले कुछ सप्ताह काफी चुनौतीपूर्ण रहे हैं। हालांकि संक्रमण दरें घट रही हैं और अब स्थिति सामान्य होने के करीब है। कोविड की दूसरी लहर के दौरान एक संगठन के तौर पर हमारी प्राथमिकता अपने कर्मचारियों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ ग्राहकों की रोजमर्रा की जरूरतों के लिए सेवा और व्यापार भागीदारों एवं छोटे कारोबारियों की आजीविका रही है। हमने इस संकट का प्रबंधन करने में समुदाय और सरकार की भी मदद की है। हमने मिशन वायु नाम से एक पहल की है जो चिकित्सा उपकरणों की खरीद एवं परिवहन के लिए हमारे वैश्विक लॉजिस्टिक नेटवर्क का इस्तेमाल करती है। हमने तीन राज्यों में चिकित्सा ऑक्सीजन संयंत्रों की भी स्थापना की है और उम्मीद है कि इससे मिली सीख के आधार पर हम उसका विस्तार करने में समर्थ होंगे। हमने 10 लाख से अधिक लोगों के लिए टीकाकरण की लागत को वहन करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। इसमें न केवल हमारे कर्मचारी एवं उनके आश्रित और अगले मोर्चे के सहयोगी शामिल हैं बल्कि हमारे लॉजिस्टिक भागीदारों और छोटे व्यापारियों को भी इसमें शामिल किया गया है। वास्तव में इस कोविड के दौरान एक अच्छी बात यही दिखी कि ग्राहक और छोटे व्यापारी हमारे ऊपर पहले से कहीं अधिक भरोसा करने लगे हैं।
छोटे शहरों एवं कस्बों के नए ग्राहकों से किस प्रकार की वृद्धि को रफ्तार मिल रही है?
कोविड ने हमारे लिए एक ढांचागत बदलाव किया है क्योंकि हमने अधिक से अधिक ग्राहकों और छोटे व्यापारियों को ऑनलाइन होते देखा है। कोविड संभवत: भारत को डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से कदम बढ़ाने, मेक इन इंडिया के लिए समर्थ बनाते हुए वैश्विक होने और एक मजबूत डिजिटल वैश्विक कारोबार खड़ा करने के लिए प्रेरित कर रहा है। इससे प्रेरित होकर हमने पिछले साल 1 करोड़ छोटे कारोबारियों को ऑनलाइन करने, 10 अरब डॉलर के निर्यात के लिए समर्थ होने और 2025 तक 20 लाख रोजगार सृजित करने की प्रतिबद्धता जताई थी। हम खुद को भारत की आर्थिक यात्रा में एक अभिन्न भागीदार के रूप में देखते हैं। पहले के मुकाबले कहीं अधिक ग्राहक आज हमारे प्लेटफॉर्म के जरिये ऑनलाइन खरीदारी करते हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आने वाले व्यापारियों की संख्या में (कोविड पूर्व स्तर के मुकाबले) 50 फीसदी की वृद्धि हुई है। हमने एमेजॉन पर लोकल शॉप्स कार्यक्रम शुरू किया है। यह स्थानीय दुकानों को ऑनलाइन स्टोर के रूप में एमेजॉन का उपयोग करने में समर्थ बनाता है। हमने अपनी वैश्विक बिक्री सेवा में भी जबरदस्त रफ्तार देखी है जहां भारतीय विनिर्माता अपने ब्रांड और उत्पादों को वैश्विक ग्राहकों के पास ले जा रहे हैं। इसमें काफी तेजी से वृद्धि हो रही है। पहले 1 अरब डॉलर के निर्यात में 3 साल लग गए जबकि अगला 1 अरब डॉलर का निर्यात महज 18 महीनों पूरा हुआ और पिछले 12 महीनों दौरान हमने 1 अरब डॉलर के निर्यात को पार किया है।
आपने एमेजॉन एकेडमी को भी लॉन्च किया है और फूड डिलिवरी सेवा एमेजॉन फूड का विस्तार किया है। इसमें किस प्रकार की मांग और वृद्धि दिख रह है?
हम हमेशा से नए विचारों और सेवाओं का परीक्षण करते रहे हैं। जिन लोगों ने एमेजॉन एकेडमी का उपयोग किया है वे इसे पसंद करते हैं। यह ग्राहकों को उनकी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए एक उमदा तरीका बताता है। इसी प्रकार एमेजॉन फूड केवल बेंगलूरु में सक्रिय है। हमने देखा है कि प्राइन सदस्य इसे खूब अपना रहे हैं। वे इस सेवा को काफी पसंद करते हैं। हमने देखा है कि वे हर महीने इसके उपयोग को दोहरा रहे हैं। हम इस बात से भी उत्साहित हैं कि रेस्तरां भी इस सेवा को लेकर काफी खुश हैं। हम शुरुआती प्रतिक्रिया से काफी उत्साहित हैं। हम भविष्य में विस्तार पर से पहले लगातार उसकी निगरानी कर रहे हैं।
महामारी के बीच दवाओं एवं टीकों की आपूर्ति जैसी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने में एमेजॉन किस प्रकार की भूमिका निभा सकती है?
हम बेंगलूरु में पहले से ही एक सेवा का परीक्षण कर रहे हैं जिसे एमेजॉन फार्मेसी नाम दिया गया है। हमें ग्राहकों से उपयोगी प्रतिक्रिया मिली है और शुरुआती संकेत काफी सकारात्मक हैं। हमें पता है कि यह एक ऐसी जरूरत है जिसे ग्राहक एमेजॉन के जरिये हासिल करना चाहते हैं। हम उसे पूरा करने के लिए लगातार तरीके तलाश रहे हैं।
फ्लिपकार्ट, रिलायंस जियोमार्ट और टाटा समूह भी अब ई-कॉमर्स पर बड़ा दांव लगाते हुए अधिग्रहण एवं रणनीतिक भागीदारी कर रहे हैं। इस पर आप क्या कहेंगे?
ई-कॉमर्स वास्तव में अपनी शुरुआती अवस्था में है। कुल खपत में इसकी भागीदारी अभी भी 3 फीसदी से कम है। हमें कई विजेता और कारोबारी मॉडल दिखने जा रहे हैं। प्रतिस्पर्धा ग्राहकों के लिए अच्छी बात है। यह वास्तव में ग्राहकों को एक विकल्प और बेहतर सेवा प्रदान करती है। हमारा ध्यान हमेशा से ग्राहकों के साथ जुनून, उनके लिए नए आविष्कार करने और लंबी अवधि के निवेश पर रहा है। उसी नजरिये का परिणाम अच्छा रहा है।