उच्चतम न्यायालय ने व्हाट्सऐप पर यूरोपीय उपयोगकर्ताओं की तुलना में भारतीयों के लिए निजता के कमतर मानकों का आरोप लगाने वाली एक नई याचिका पर आज केंद्र और मैसेजिंग ऐप को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में उनसे जवाब मांगा।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अगुआई वाले पीठ ने 2017 में लंबित याचिका पर कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी के अंतरिम आवेदन पर सुनवाई के दौरान यह नोटिस जारी किया। याचियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने दलील दी कि व्हाट्सऐप यूरोपीय देशों और भारत के उपयोगकर्ताओं के साथ अपनी नीतियों में भेदभाव कर रहा है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि लोगों को डर है कि उनकी निजता खत्म हो जाएगी और नागरिकों की निजता की रक्षा करना न्यायपालिका का कर्तव्य है। पीठ ने कहा कि आप दो या तीन हजार अरब की कंपनी हो सकते हैं लेकिन लोग पैसे से ज्यादा अपनी निजता को अहमियत देते हैं। यह हमारा दायित्व है कि हम लोगों की निजता की रक्षा करें।
इस साल जनवरी में व्हाट्सऐप ने अपनी सेवा की शर्तों और निजता नीति में बदलाव किया था। इस कदम का मकसद प्रवर्तक कंपनी के उत्पादों और सेवाओं के साथ बेहतर एकीकरण करना है। इसमें कहा गया है कि लोगों को जानकारियां साझा करने के नियमों सहित फेसबुक के साथ कारोबारी बातचीत को साझा करने की सहमति देनी होगी।
हालांकि व्हाट्सऐप ने स्पष्ट किया है कि संदेश और निजी बातचीत गोपनीय और एनक्रिप्टेड ही रहेंगे लेकिन उपयोगकर्ताओं को निजता के उल्लंघन की चिंता है।
इसी वजह से कई व्हाट्सऐप छोड़कर सिग्नल तथा टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग ऐप को अपना चुके हैं। विवाद के बाद व्हाट्सऐप ने अपनी नई नीति को 15 मई तक के लिए टाल दिया है।
व्हाट्सऐप ने अदालत को बताया कि यूरोप में निजता को लेकर विशेष कानून है और भारत में भी ऐसा कानून बनता है, तो वह उसका पालन करेगी। व्हाट्सऐप की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ‘2021 की नीति यूरोप को छोड़ हर जगह लागू है। अगर भारत में इस तरह का कानून बनता है तो हम इसका पालन करेंगे।’मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।पीठ को बताया गया कि इसी तरह के एक मामले की सुनवाई दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रही है।
अदालत ने कहा, ‘दिल्ली उच्च न्यायालय का मामला सर्वोच्च न्यायालय में भेजे जाने के बारे में हम विचार करेंगे। लेकिन हम आपको नोटिस जारी करेंगे और आपको जवाब देना होगा। हमें देखना होगा कि मामला संविधान पीठ के पास लंबित हो सकता है।’
शीर्ष अदालत ने 2017 में व्हाट्सऐप की निजता नीति का मामला संवैधानिक पीठ को भेज दिया था और कहा था कि यह निजता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के बड़े मुद्दे से संबंधित है।जनवरी में सरकार ने भी व्हाट्सऐप को नई निजता नीति को वापस लेने के लिए कहा था। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने व्हाट्सऐप को निजता और जानकारियां हस्तांतरित करने एवं साझा करने नीतियों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था। व्हाट्सऐप ने कहा था कि उसकी प्रस्तावित नीति अद्यतन है और उपयोगकर्ताओं के दोस्तों या परिवार के साथ बातचीत या संदेश की गोपनीयता को कियी तरह प्रभावित नहीं करती है।
नीति में बदलाव व्हाट्सऐप पर कारोबारी पहलू को ध्यान में रखते हुए किया गया है। हम डेटा किस तरह से एकत्र और उपयोग करते हैं, उसमें इससे और पारदर्शिता आएगी। 2014 में फेसबुक द्वारा व्हाट्सऐप का अधिग्रहण किए जाने के बाद नीतियों में बदलाव करने पर सरीन और सेठी ने 2016 में भी व्हाट्सऐप के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी।
