कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय भाव में हुई तेज गिरावट के बावजूद सरकारी तेल कंपनियों में वैकल्पिक और अक्षय ऊर्जा के अनुसंधान और विकास खर्च में कोई कटौती नहीं हुई है।
वास्तव में इन कंपनियों ने ऐसे कार्यक्रमों पर अपने खर्चों में आक्रामक वृद्धि कर दी है। भारतीय तेल निगम को ही बतौर उदाहरण लें।
देश की सबसे बड़ी रिफाइनर और विपणनकर्ता इस कंपनी ने तो अनुसंधान और विकास पर होने वाला अपना खर्च 30 करोड़ रुपये से बढ़ाकर दोगुना कर दिया है।
इस साल इस मद में कंपनी 60 रुपये खर्च करने जा रही है। इस बढ़े हुए बजट से कंपनी जैविक रूप से क्षतिग्रस्त स्नेहकों का विकास और तेल शोधन तकनीक में सुधार करेगी। कंपनी जल्द ही फरीदाबाद में एक पायलट संयंत्र शुरू करने वाली है।
यहां कोयले के गैस तैयार करने की तकनीक लगाई जाएगी और जैवमास से एथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा। आईओसी के अनुसंधान और विकास निदेशक आनंद कुमार ने बताया, ‘हमलोग वैकल्पिक और अक्षय ऊर्जा अनुसंधान पर अपना खर्च बढ़ा रहे हैं।’