मुंबई मुख्यालय वाली महानगर गैस लिमिटेड (एमजीएल) पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) अधिनियम, 2006 में नए संशोधनों का अधिकतम लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। नए अधिनियम का मकसद अपने अपने क्षेत्रों में मौजूदा सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूटर्स (सीजीडी) के एकाधिकार को समाप्त करना है। गेल द्वारा प्रवर्तित एमजीएल महाराष्ट्र के कई इलाकों में परिचालन का काम करती है।
नई दिल्ली में आयोजित इंडिया एनर्जी वीक में अलग से बिज़नेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए एमजीएल के प्रबंध निदेशक आशु सिंघल ने कहा कि अधिनियम के मुताबिक जब सेक्टर खुलेगा तो उन्हें अपने निवेश पर कम से कम 12 प्रतिशत मुनाफा मिलेगा।
सिंघल ने कहा, ‘हमें अन्य भौगोलिक इलाकों में जाकर काम करने का अवसर मिलेगा। इससे हमें नुकसान नहीं होगा। लेकिन हम अदालत में हैं, क्योंकि अधिनियम का उसी तरह पालन किया जाना चाहिए, जैसा कि लिखा गया है और यह सभी के लिए एक जैसा नहीं हो सकता। अधिनियम में प्रावधान हैं, लेकिन लेकिन नियम उनके मुताबिक बनने चाहिए।
हम अधिनिय में कही गई बातों के पक्ष में हैं, क्योंकि सरकार सीजीडी क्षेत्र के लिए बहुत काम कर रही है और हम विकास प्रक्रिया में बाधा नहीं बन सकते।’ 2015 में कुछ सीजीडी क्षेत्रों को कॉमन कैरियर घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। लेकिन यह प्रक्रिया स्वचालित नहीं थी, इसलिए नियामक ने 2020 में मार्गदर्शक सिद्धांत के नियम बनाए थे। इनके आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों को कॉमन कैरियर घोषित किया गया है।
नये नियम का मकसद देश के 54 शहरी इलाकों में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूटर्स का एकाधिकार समाप्त करना है, जहां उनकी विशिष्टता की अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों के मामले में यह अवधि 2012 में ही समाप्त हो चुकी है। बहरहाल न्यायालयों ने कार्रवाई को ‘अल्ट्रा वायरस’करार दिया है और नियामक द्वारा अपने कानूनी अधिकारों व प्राधिकार से परे जाकर काम करने को लेकर खिंचाई की है।
पीएनजीआरबी द्वारा आईजीएल और एमजीएल जैसी पुरानी सीजीडी कंपनियों के खिलाफ शुरू की गई कानूनी कार्रवाइयों को न्यायालयों में खारिज कर दिया गया था। पीएनजीआरबी अधिनियम, 2006 में लंबे समय से लंबित संशोधन, जिसे पिछले साल विस्तारित किया गया था, इस क्षेत्र के नियामक को प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों को ‘कॉमन कैरियर’ के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने की अपनी योजना को लागू करने के लिए पर्याप्त कानूनी अधिकार देगा और नियामक को मुकदमों की इस बाढ़ से निपटने के तरीके के बारे में अधिक स्पष्टता भी देगा, जैसा कि इस अखबार ने पिछले साल खबर दी थी।
सिंघल ने कहा, ‘हम इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं देख रहे हैं। हम इसके लिए तैयार हैं। मामला न्यायालय में विचाराधीन है, ऐसे में हम बहुत कुछ नहीं कहना चाहते। लेकिन हमारे लिए यह अवसर है कि नए क्षेत्रों में जाएं, जैसे कि अन्य को हमारे इलाके में काम करने को अवसर मिलेगा।’