बाहर की कमजोर परिस्थिति और शिपिंग की बढ़ती लागत के बावजूद घरेलू मांग में सुधार के बीच भारतीय कंपनी जगत द्वारा निजी पूंजीगत व्यय में इजाफा किए जाने के आसार हैं। उद्योग के संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सर्वेक्षण से यह जानकारी मिली है।
विभिन्न आकार की 200 से ज्यादा कंपनियों के बीच किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही (वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही) के दौरान सीआईआई का कारोबारी विश्वास सूचकांक मार्च के बाद से अपने सबसे ऊंचे स्तर 68.2 पर पहुंच गया। पिछली तिमाही में यह 67.3 था। वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही में यह 67.1 था।
इसमें कहा गया है कि 59 प्रतिशत उत्तरदाताओं को पिछले छह महीनों की तुलना में इस साल अप्रैल-सितंबर के दौरान निजी पूंजीगत व्यय में वृद्धि होने की उम्मीद है। सर्वेक्षण में कहा गया है ‘घरेलू मांग में सुधार ने कारोबार का ज्यादा आशावादी माहौल तैयार किया है, जो कंपनियों को निवेश और विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।’
इसमें कहा गया है ‘उत्तरदाताओं के एक बड़े हिस्से का मानना है कि पहली छमाही में निजी पूंजीगत व्यय की राह में बदलाव नहीं होगा। केवल एक छोटे-से हिस्से (छह प्रतिशत) को इस बात की उम्मीद है कि वित्त वर्ष 24 की दूसरी छमाही की तुलना में निजी पूंजीगत व्यय का स्तर कमजोर रहेगा।’
अनुकूल मॉनसून के मद्देनजर 78 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें इस साल मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से कम नजर आ रही है। इनमें से 33 प्रतिशत का कहना है कि यह 4.5 से पांच प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है। 35 प्रतिशत का कहना है कि यह चार से 4.5 प्रतिशत के दायरे में रहने की उम्मीद है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबी आई) ने कहा है कि इस साल मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने के आसार हैं। 60 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का मानना था कि आरबीआई इस वित्त वर्ष में ब्याज दरों में कटौती की अपनी प्रक्रिया शुरू करेगा। इनमें से 34 प्रतिशत ने कहा कि अक्टूबर-दिसंतर तिमाही हमें दरों में कटौती के आसार हैं। अन्य 31 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि जनवरी-मार्च तिमाही में ऐसा होने लगेगा।
सर्वेक्षण में कहा गया है ‘हाल की अवधि में बैंकिंग की तरलता अधिक होने के कारण हम उम्मीद कर सकते हैं कि केंद्रीय बैंक अक्टूबर में आगामी मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कुछ ढील देगा या कम से कम नीतिगत रुख में बदलाव तो करेगा।’
घरेलू मांग में सुधार के कारण खास तौर पर ग्रामीण भारत वाली ज्यादातर कंपनियों (53 प्रतिशत) ने कहा कि उनकी कंपनी में क्षमता उपयोग का स्तर अप्रैल-जून तिमाही के दौरान 75 से 100 प्रतिशत (46 प्रतिशत) और 100 प्रतिशत से अधिक (छह प्रतिशत) रहा।