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स्थानीय ऐप स्टोर की राह में ढेरों चुनौतियां

Last Updated- December 14, 2022 | 11:06 PM IST

गूगल और ऐपल का दबदबा खत्म करने के लिए स्टार्टअप उद्योग की ओर से घरेलू ऐप स्टोर की मांग के बीच उद्योग के विशेषज्ञों और विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों को लाने के लिए लंबी राह तय करनी होगी। बहरहाल वे इस बात पर सहमत हैं कि आत्मनिर्भर ऐप स्टोर के बारे में सोचने के लिए यह सही वक्त है क्योंकि भारत को तकनीकी जानकारी है कि कि स तरह से ऐसा मार्केटप्लेस तैयार किया जाए। हालांकि  इसमें सरकार के हस्तक्षेप की जरूरत होगी, जिससे स्थानीय ऐप स्टोर के लिए काम करने का समान अवसर मिल सके।
ग्रेहाउंड रिसर्च के संस्थापक और सीईओ संचित वीर गोगिया ने कहा, ‘ऐपल और गूगल प्ले स्टोर की वैश्विक पहचान है क्योंकि वैश्विक निजता मानकों को लेकर उन्होंने प्रतिमान स्थापित किया है। ओईएम हार्डवेयर के लिए पूरा वातावरण तैयार करना होगा, जिससे कि नए ओएस की स्वीकार्यता संभव हो सके। हमें वैश्विक ऐप स्टोर के मालिकों से डेडा नीतियों व भुगतान नीतियों पर बातचीत का आधार बनाना होगा।’
फोरेस्टर रिसर्च इंडिया में फोरकास्ट एनलिस्ट संजीव कुमार ने कहा, ‘आप अगर इसे लांच कर देते हैं और अगर ग्राहक इसमें कोई बेहतर चीज नहीं देखता तो वह प्रोत्साहन मिलने तक इसे इंस्टाल नहीं करेगा। या तो उसे ऐसा ऐप मुहैया कराना होगा, जो अन्य स्टोर पर उपलब्ध न हों, या बेहतर इंटरफेस बनाना होगा।’ फिनटेक स्टार्टअप इंस्टामोजो के संस्थापक और सीईओ संपद स्वैन के मुताबिक ऐप इकोनॉमी में तेजी और ग्राहकों द्वारा ऐप का इस्तेमाल बढ़ाने के कारण भारत का ऐप स्टोर बेहतर विचार है, लेकिन हम ऐसे दौर में हैं, जब यह समझना जल्दबाजी होगी कि यह कैसे काम करेगा। उन्होंने कहा, ‘ग्राहकों का व्यवहार और प्राथमिकता बदलना बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि हर कोई मौजूदा ऐप स्टोर के विकल्प के इस्तेमाल से वाकिफ हो चुका है। आखिरकार यह देश की नियामकीय संस्थाओं पर निर्भर है कि वे इसे संज्ञान में लें और इस दिशा में कदम उठाएं।’
एंड्रायड फोन में गूगल प्ले स्टोर होता है जबकि आईफोन में ऐपल स्टोर मौजूद होता है। 1एमजी के सह संस्थापक गौरव अग्रवाल ने कहा, ‘नीतिगत स्तर पर सरकार मदद कर सकती है और वह नए ऐप स्टोर के लिए कारोबार का समान मौका मुहैया करा सकती है, चाहे व ऐप्लीकेशन की सक्षमता का मसला हो, या फोन इकोसिस्टम में पूरी दृश्यता का मामला हो। ऐसा न होने पर नया ऐप स्टोर सफल नहीं होगा।’  पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा, पॉलिसी बाजार के समूह सीईओ और सह संस्थापक याशीश दहिया, मैट्रीमोनी डॉट कॉम के संस्थापक मुरुगवेल जानकीरमण और सीसीएवेन्यूज के संस्थापक और पेमेंट काउंसिल आफ इंडिया के चेयरमैन विस्वास पटेल स्वदेशी ऐप स्टोर के लिए अभियान चला रहे हैं।
एक घरेलू यूनीकॉर्न स्टार्टअप के अधिकारी ने कहा, ‘गूगल, गूगल पे बिलिंग सिस्टम और लेन देन पर 30 प्रतिशत कमीशन नहीं थोप सकती है। यह अभियान भारत को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर है।’ उन्होंने कहा, ‘गूगल का एकाधिकार है और वह कंपनियों को दबा रही है। छोटे डेवलपर 30 प्रतिशत शुल्क नहीं दे सकते।’ 

First Published - October 4, 2020 | 11:19 PM IST

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