भारतीय आउटसोर्सिंग कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने 12,000 से ज्यादा नौकरियां घटाने का फैसला किया है, जो विशेषज्ञों के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की वजह से शुरू हो रहे बड़े बदलाव की शुरुआत है। आने वाले 2-3 सालों में इस 283 अरब डॉलर के उद्योग में करीब पांच लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं।
TCS ने कहा है कि उसने कर्मचारियों की संख्या कम इसलिए की है क्योंकि कुछ लोगों के पास जरूरी स्किल नहीं थी, न कि इसलिए कि AI की वजह से। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट कंपनी की अब तक की सबसे बड़ी छंटनी है, इससे पता चलता है कि IT सेक्टर में बड़े बदलाव आने वाले हैं।
यह उद्योग भारत में मिडिल क्लास बनने में बहुत मदद करता रहा है। अब AI का इस्तेमाल कोडिंग, टेस्टिंग और कस्टमर सपोर्ट जैसे कामों में तेजी से बढ़ रहा है। मार्च 2025 तक इस सेक्टर में करीब 56.7 लाख लोग काम करते थे और यह भारत की GDP का 7% से ज्यादा हिस्सा है। यह सेक्टर सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से कई नौकरियां देता है, जिससे लोग ज्यादा सामान खरीदते हैं, जैसे गाड़ियां और घर के सामान। पहले इस उद्योग ने भारत के ज्यादातर इंजीनियरों को नौकरी दी है। लेकिन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि AI के बढ़ने से काम ज्यादा आसान और तेज होगा, और नए स्किल चाहिए होंगी जो अभी बहुत से कर्मचारियों के पास नहीं हैं। इसलिए यह सेक्टर बदलने वाला है।
सिलिकॉन वैली स्थित Constellation Research के संस्थापक और चेयरमैन रे वांग ने कहा, “हम एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं, जो व्हाइट कॉलर कामकाज को पूरी तरह बदल देगा,” । अन्य विशेषज्ञ भी इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि आने वाले समय में और भी छंटनियां हो सकती हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, सबसे ज्यादा खतरा उन कर्मचारियों को है जिनका तकनीकी ज्ञान बहुत कम है, जैसे कि केवल मैनेजमेंट करने वाले लोग, जो सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग करते हैं, बग्स ढूंढ़ते हैं और यह देखते हैं कि सॉफ्टवेयर उपयोग में आसान हो। साथ ही, जिनका काम नेटवर्क और सर्वर की देखरेख करना और बेसिक टेक्निकल सपोर्ट देना है, वे भी जोखिम में हैं।
टेक मार्केट इंटेलिजेंस कंपनी UnearthInsight के को फाउंडर गौरव वासु ने बताया कि अगले 2-3 सालों में लगभग 4 लाख से 5 लाख पेशेवरों की नौकरियां खतरे में हैं, क्योंकि उनके पास वो स्किल नहीं हैं जो क्लायंट चाहते हैं। इनमें से करीब 70 प्रतिशत कर्मचारी ऐसे हैं जिनके पास 4 से 12 साल का अनुभव है।
वासु ने कहा, “TCS की छंटनी से जो डर बना है, उससे लोगों की खरीदारी कम हो सकती है। इससे टूरिज्म, महंगे सामान की खरीदारी और रियल एस्टेट जैसे बड़े निवेश भी धीमे पड़ सकते हैं।”
स्टाफिंग कंपनी Xpheno के अनुसार, TCS, इन्फोसिस, HCLTech, टेक महिंद्रा, विप्रो, LTI-माइंडट्री और कॉग्निजेंट में मिलकर 4.3 लाख से ज्यादा ऐसे कर्मचारी हैं जिनके पास 13 से 25 साल का काम करने का अनुभव है। Xpheno के सह-संस्थापक कमल करंथ ने कहा, “अभी ये कर्मचारी उद्योग के बीच वाले हिस्से के जैसे दिखते हैं।”
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जेफरीज के एक्सपर्ट अक्षत अग्रवाल कहते हैं कि कंपनियां अब नई डील जीतने के लिए खर्च कम करना चाहती हैं। क्लायंट भी ऐसे काम की मांग कर रहे हैं, जिसमें कम लोगों से ज्यादा काम हो। AI के बढ़ने की वजह से यह चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसका मतलब है कि IT कंपनियों को या तो कम लोगों से ज्यादा काम कराना होगा या उतना ही काम कम लोगों से करना होगा।
TCS के पास छंटनी से पहले 6,13,000 से ज्यादा कर्मचारी थे। जुलाई के आखिर में कंपनी ने कहा कि वह भविष्य के लिए तैयार हो रही है। वह नई तकनीकों में पैसा लगा रही है, नए बाजारों में काम कर रही है, और AI को खुद और अपने ग्राहकों के लिए ज्यादा इस्तेमाल कर रही है। साथ ही, कंपनी अपने कर्मचारियों के तरीके भी बदल रही है। लेकिन कंपनी ने यह नहीं बताया कि AI की वजह से कितनी छंटनी हुई और जिन लोगों की नौकरी गई, उन्हें दूसरी नौकरी क्यों नहीं दी गई।
कोलकाता में काम करने वाले 45 साल के एक TCS कर्मचारी ने कहा, “यह खबर बहुत दुख देने वाली है। मेरी उम्र के लोगों के लिए नई नौकरी मिलना बहुत मुश्किल हो गया है।” कुछ और कर्मचारी भी पिछले कुछ महीनों में कम बोनस, नई ‘बेंच पॉलिसी’ (जिसमें बिना काम के रहने का समय सीमित है), काम पर आने में देरी और छंटनी की वजह से मानसिक दबाव महसूस कर रहे हैं। पुणे के एक TCS कर्मचारी ने कहा, “इन सभी बदलावों से बीच करियर वाले कर्मचारियों का मनोबल बहुत नीचे गिर गया है।”
1990 के बाद से भारतीय आउटसोर्सिंग सेक्टर लाखों इंजीनियरों को रोजगार देता आ रहा है और उनकी जिंदगी बेहतर बनाता रहा है। लेकिन अब महंगाई और अमेरिकी टैरिफ की वजह से कंपनियों के खर्च कम करने की मांग बढ़ी है, जिससे राजस्व की ग्रोथ धीमी पड़ गई है। आईटी उद्योग संगठन नासकॉम ने कहा है, “टेक इंडस्ट्री एक बड़े मोड़ पर है, जहां AI और ऑटोमेशन व्यापार के हर हिस्से में अपनी पकड़ बना रहे हैं।”
टेक महिंद्रा के पूर्व सीईओ CP गुरनानी ने बताया, “पहले तकनीकी बदलाव संगठन स्तर पर होते थे, लेकिन AI के दौर में पहली बार जिम्मेदारी व्यक्ति पर है कि वह खुद को नई स्किल सीखकर तैयार करे।” (रॉयटर्स के इनपुट के साथ)