दूरसंचार विभाग उत्पादों से जुड़ी उत्पादन से प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के विस्तार को बढ़ावा दे रहा है। इससे मकसद दूरसंचार उपकरणों व नेटवर्क उत्पादों का घरेलू स्तर पर अधिक उत्पादन और 4जी व 5जी के गीयर के निर्यात की मांग को तेजी से पूरा करना है। अधिकारियों ने बताया कि विभाग की आगामी बजट के अंतर मंत्रालय परामर्श में पीएलआई का विस्तार प्रमुख मांग होगी।
अधिकारियों ने कहा कि नए निवेश को आकर्षित करने के लिए इस योजना को बेहतर किया गया है। सिंतबर के अंत तक 42 पीएलआई लाभार्थी प्रतिबद्ध किए गए 4,115 करोड़ रुपये में से 3,925 करो़ड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं। इस निवेश से 44,000 नौकरियों का सृजन करने का वादा किया गया था लेकिन 24,980 नौकरियों का ही सृजन हुआ है। अधिकारियों के अनुसार विभाग का लक्ष्य संशोधित योजना के बूते अधिक नौकरियों की संख्या को हासिल करना है।
दूरसंचार विभाग के अनुसार भारत पीएलआई योजना के तहत 60 प्रतिशत आयात प्रतिस्थापना का लक्ष्य हासिल कर चुका है। इससे भारत सिंगल ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल कर पाइंट से मल्टीपाइंट नेटवर्क, ग्राहक परिसर उपकरण (सीपीई) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) में इस्तेमाल होने वाले एंटीना, गीगाबिट पैसिव ऑप्टिकल नेटवर्क गीयर में करीब-करीब आत्मनिर्भरता प्राप्त कर चुका है। हालांकि 2024 तक 4जी और 5जी के सभी उपकरणों का निर्यात के लक्ष्य को हासिल करना बाकी है।
अधिकारी ने कहा, ‘ऑप्टिकल उपकरणों, स्विच और राउटर्स के निर्यात की मांग वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रही है। लिहाजा 5जी तकनीक का इस्तेमाल करने वाले प्रमुख देशों की मांग को पूरा करने के लिए अधिक मदद की जरूरत है।’
भारत की नीति में निवेश आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। भारत की दूरसंचार तकनीक में निवेश करने के लिए कीनिया, मॉरीशस, पापुआ न्यू गिनी सहित कई देशों ने रुचि दिखाई है। इस योजना की शुरुआत 2021 में की गई थी और इसमें पांच साल के लिए 12,195 करोड़ रुपये का आबंटन किया गया था।